परिचय : About Black Holes
ब्लैक होल के अंदर क्या होता है, आज तक इस बारे में कोई भी इंसान नहीं जान पाया है। यह अब भी इंसानों और वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत ज्यादा जटिल गहरी पहेली बनी हुई है। जिसे सुलझाना आज तक पॉसिबल नहीं ही पाया है। ब्लैक होल इतने ज्यादा घने (dense) होते हैं कि उनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति (gravitational force) बेहद विशाल व प्रचंड शक्तिशाली हो जाती है। यह ताकत इतनी ज़्यादा होती है जिसका अनुमान हम और आप नहीं लगा सकते है। आप बस इतना अंदाजा लगा सकते है कि इसके पास से गुज़रने वाली जो रोशनी होती है जो प्रकाश होता वो तक बाहर नहीं निकल पाता है। इसलिए यह एक बहुत बड़ा कारण है कि हम आज तक इसे अच्छे से समझ नहीं पाए है। ब्लैक होल को आज तक को सीधे-सीधे तौर पर कभी देख ही नहीं गया है और न ही उसके भीतर क्या है, यह कोई जान सका हैं।
लेकिन हमें इतना ज़रूर पता है कि ब्लैक होल अंतरिक्ष में वह जगह होता है जहां पर गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली हो जाता है कि कुछ भी उसकी पकड़ से नहीं छूट पाता यानी बाहर नहीं निकल पाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि अगर आज तक उससे प्रकाश ही बाहर नहीं निकल पाया है तो फिर हम ब्लैक होल को समझ कैसे पाए है?
देखिए दरअसल साइंटिस लोगो का कहना होता है ब्लैक होल स्पेस में क्लीनर का काम करते है वो कहते है की ब्लैक होल को हम "कॉस्मिक वैक्यूम क्लीनर" कह सकते हैं, जो अपने आसपास की हर चीज़ को निगल लेता है यानि अपने अंदर समा लेता है। चाहे वह धूल के कण हो, गैस हो, तारे हों या विकिरण (radiation) हो, सब कुछ अपनी और खींच लेता है अपने अंदर समा लेता है। ये इतना पावरफूल होता ही है। यही वजह है कि यह ब्रह्मांड का सबसे खतरनाक जगहों में से एक माना जाता है। इसके साथ साथ यह अब तक अनेक रहस्यों से भरा पड़ा हुआ है।
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Non Copyrighted Image From Unplash Officially Site of Nasa Hubble Space Telescope (Free To Use) |
What Is Singularity?
कहा जाता है कि ब्लैक होल के बीचो-बीच में एक "सिंगुलैरिटी" होती है। यह ब्लैक होल का वह प्वाइंट है जहां पर गुरुत्वाकर्षण एकदम infinite यानी अनंत हो जाता है और हमारे आज तक जो ज्ञात भौतिकी के जो भी जाने-पहचाने नियम है फॉर्मूले है, वो सब पूरी तरह से विफल हो जाते हैं। यानी जो विज्ञान हम जानते हैं, वह वहां काम नहीं करता। वैज्ञानिक भी इसे लेकर केवल अनुमान ही लगा ही पाए है अभी तक, पक्के तौर पर वास्तव में कोई नहीं जानता है कि सिंगुलर्टी पर पहुंचने पर क्या होता होगा।
सिंगुलैरिटी को अंतरिक्ष-समय (space-time) का वह बिंदु कहा जाता है जहां एक ब्लैक होल का सारा द्रव्य (mass) और ऊर्जा (Energy) एक ही बिंदु में सिमट गई हो। यह मुख्यत ब्लैक होल का केंद्र होता है, जहां गुरुत्वाकर्षण इतना ज़्यादा प्रबल होता है कि रोशनी, जिसकी गति पूरे ब्रह्मांड में सबसे तेज़ है, वह भी बाहर नहीं निकल पाता है।
इसके अलावा कुछ वैज्ञानिकों और सिद्धांतकारों का ये भी मानना है कि ब्लैक होल के भीतर शायद दूसरे ब्रह्मांड (universes) हो सकते हैं या फिर "वॉर्महोल" हो सकते हैं, यानी दूसरी दुनिया के दरवाजे जो हमें किसी और जगह या किसी और समय में पहुँचा सकते है। लेकिन यह सब सिर्फ़ सिद्धांत हैं लोगो के मत है, इनके समर्थन में कोई ठोस सबूत अभी तक नहीं मिल पाया है। इसके साथ कुछ वैज्ञानिक लोग ये भी मानते है कि ब्लैक होल आस पास होने पर हम टाइम ट्रैवल भी कर सकते।है
जो कि आइंस्टाइन के थ्योरी के मुताबिक पॉसिबल है। पर आज तक इसके भी कोई पुख्ता प्रमाण नहीं अवेलेबल है। यही वजह है कि ब्लैक होल के भीतर की दुनिया आज भी रहस्य और जिज्ञासा से भरी पड़ी हुई है। इसके अलावा ब्लैक होल आज भी यूनिवर्स की सबसे ज्यादा जटिलतम विषय बनी हुई है।
ब्लैक होल क्या है?
भारतीय मूल के महान वैज्ञानिक प्रो. सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर ने सबसे पहले यह गणना की थी कि जब एक विशाल तारा अपना ईंधन खत्म कर देता है तो वह अपने ही गुरुत्वाकर्षण से ढहने यही collapse होने लगता है। शुरू शुरू में उनकी इस खोज का मज़ाक उड़ाया गया, लेकिन बाद में अन्य वैज्ञानिकों ने भी यही साबित किया कि वाकई तारा हमेशा अपने ही केंद्र की ओर ढहता है और कही नहीं जाता है या विखंडित होता है।
उन्होंने यह भी बताया कि जब कोई तारा, जिसका द्रव्यमान (mass) सूर्य जैसे तारे से 20 गुना ज़्यादा हो तो वह जब अपने जीवन का ईंधन खत्म कर देता है, तो उसका एक बहुत बड़ा भीषण विस्फोट होता है जिसे हम बाद में सुपरनोवा कहते हैं। इस दौरान जो तारे की बाहरी परतें है वो बाहर निकल जाती हैं। लेकिन अगर उसका केंद्र सूर्य से कम-से-कम 3 गुना भारी रह जाता है,तो वह एक ब्लैक होल में परिवर्तित हो जाता है।
ब्लैक होल बनने के बाद यह अपने आसपास की सभी उपग्रहों को अपने आस पास की गैस, धूल अणु और छोटे मोटे तारों को खींचकर और बड़ा होता जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यहां तक कि दो बड़े ब्लैक होल आपस में मिलकर और भी विशालकाय बन सकते हैं।
ब्लैक होल की पहली तस्वीर
ब्लैक होल की पहली तस्वीर जब पहली बार इंसानों ने देखी, तो वास्तव में यह विज्ञान और मानव जगत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी। ब्लैक होल खुद तो दिखाई नहीं देता, लेकिन उसके आसपास का "Accretion Disk 📀" यानी पदार्थ की गर्म चमकती हुई परत दिखाई देती है। यही वही क्षेत्र था जिसकी तस्वीर ईवेंट होराइज़न टेलिस्कोप ने कैमरे में कैद की थी।
ब्लैक होल को देखने के तरीके
ब्लैक होल खुद कोई प्रकाश उत्सर्जित तो करता नहीं, तो इन्हें समझा कैसे जाए। आज के वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल को पहचानने के लिए कई तरीकों से इन्हें पहचानने का उपाय खोज लिया है।
1. तारों की गति देखकर –
अगर कोई तारा अचानक तेज़ या अजीब तरीके से घूम रहा है, तो उसके आसपास अदृश्य ब्लैक होल हो सकता है। वैज्ञानिक उन्हें पकड़ लेते है कि तारों को और आस पास के उपग्रहों को कोई खींच रहा है या उनके आस पास तेजी से चक्कर काट रहा है।
2. एक्स-रे विकिरण से –
जब ब्लैक होल अपने आस पास के तारों या गैस के बादलों को खींचते है, तो वहां बनने वाला "Accretion Disk" जो होता है वो गर्म होकर एक्स-रे उत्सर्जित करता है यानि radiation emit, करता है जिसे बाद में दूरबीनें पकड़ लेती हैं।
3. गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग से –
ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण ज़बरदस्त शक्तिशाली होता है। उनका गुरुत्व शक्ति प्रकाश को मोड़ देता है। इस वजह से दूर की आकाशगंगाएं हमे थोड़ी टेढ़ी मेढी या कभी कभी मुड़ी-तुड़ी दिखाई देती हैं। इस प्रभाव से वैज्ञानिक ब्लैक होल की मौजूदगी का पता लगा लेते है कि हो सकता है इसके आसपास ब्लैक होल मौजूद हो।
ब्लैक होल के हिस्से
1. इवेंट होराइज़न (Event Horizon) –
यह ब्लैक होल की "सीमा" होता है। एक बार अगर कोई वस्तु इसमें प्रवेश कर जाए तो वह कभी वापस नहीं आ सकती। यह ब्लैक होल का बाहरी या शुरुवाती एरिया होता है।
2. सिंगुलैरिटी (Singularity) –
यह ब्लैक होल के मैन प्वाइंट होता। यह केंद्र का वह बिंदु है जहां द्रव्य यानी mass अनंत घनत्व (infinite density) में सिमटा होता है, यानी छोटे से एरिया में अनंत घनत्व होता है और भौतिकी के सभी नियम नाकाम हो जाते हैं।
3. एक्सीलरेशन डिस्क (Accretion Disk) –
आसपास का गैस और धूल का चमकता हुआ चक्र, जो ब्लैक होल के चारों ओर घूमता है।
4. ग्रैविटेशनल लेंसिंग (Gravity Lensing) –
यह तब होता है जब विशाल ग्रैविटी प्रकाश को मोड़ देती है। जब एक ब्लैक होल अपनी ग्रैविटी की शक्ति से दूर की रोशनी को मोड़ देती है तब हम उसे ग्रैविटी लेंसिंग कहते है।
वैज्ञानिक भी मानते हैं कि ब्लैक होल हमेशा के लिए नहीं रहते। यानी उनका भी जीवनकाल होता है। अरबों-खरबों सालों बाद वे भी धीरे-धीरे "हॉकिन्स विकिरण" नामक प्रक्रिया से अपना ऊर्जा खोते रहते है और अंततः स्वयं विस्फोट करके नष्ट हो जाएंगे। लेकिन यह प्रक्रिया ब्रह्मांड की मौजूदा उम्र से भी कई गुना लंबी होगी।
आज की तारीख में ब्लैक होल ब्रह्मांड का सबसे बड़ा रहस्य हैं। वे हमें चुनौती देता हैं कि हम अंतरिक्ष के, समय और भौतिकी की लगने वाली नियमों को और गहराई से समझें। शायद भविष्य में जब हमारे पास क्वांटम ग्रैविटी की पूरी थ्योरी होगी, तब हम ब्लैक होल के भीतर की होने वाली हलचल को यानि यू के अंदर की असली सच्चाई को जान पाएंगे।