हाइपरलूप ट्रेन क्या है?
हाइपरलूप ट्रेन आने वाली भविष्य की आधुनिक परिवहन प्रणाली है, जो कम ऊर्जा और अधिक गति से चलने के लिए डिजाइन किया गया है। 2013 में Elon Musk ने इस सिद्धांत के बारे सबसे पहले विचार रखा था उन्होंने ही इसकी रूप रेखा तैयार किया था,उन्होंने इसको अत्यधिक गति और दक्षता के लिए डिज़ाइन किया था है। आपको जानकार हैरानी होगी कि यह टेक्नोलॉजी एक ट्यूब में यात्रा करती है, जिसमें बहुत कम दबाव होता है,इसी कम दबाव के कारण इसे तेज़ी से चलने में मदद मिलती है। यह ट्रेन एक उच्च गति वाली रेलगाड़ी के लिए टेक्नोलॉजी है जो कि एक विशेष मग्नेटिक लेविटेशन सिस्टम पर रन करती है। (magnetic levitation system) और यह टेक्नोलॉजी अक्सर वैक्यूम में दौड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। यह वैक्यूम में अपनी उच्चय गति लगभग 1200 Km चलने की सुविधा के साथ इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। इसका आविष्कार और प्रस्ताव इलॉन मस्क (Elon Musk) ने किया था पर अभी यह भारत में जोरो शोर से ट्रायल पर है।
हाइपरलूप ट्रेन बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा तेज़ गति से कैसे चलती है
हाइपरलूप ट्रेन एक वैक्यूम ट्यूब में चलने वाली जनसंपर्क यानी रेलगाड़ी की प्रणाली है, जहां ट्रेन को एक वैक्यूम युक्त ट्यूब (vacuum tube) में रखा जायेगा। यह वैक्यूम बनाने के लिए एक उच्च वायु रोधीता (low air resistance) वाली टेक्नोलॉजी होगी जो वैक्यूम बनायेगी। इसके साथ ही, ट्रेन को एक तेजी से घुमने वाली रेल लाइन (loop) लगाए जाएगा जिस पर ट्रेन को चलाया जाएगा, इस लूप पर मैग्नेटिक लेविटेशन सिस्टम (magnetic levitation system) work करेगा इसकी सहायता से ट्रेन बहुत अधिक गति को प्राप्त करेगी।
मैग्नेटिक लेविटेशन सिस्टम क्या होता है ?
मैग्नेटिक लेविटेशन सिस्टम एक नई तकनीक है जो वस्तुओं को धातुओं को अपने चुंबकीय बल से हवा में उठाती है। इसमें चुंबक का उपयोग होता है जो बिना किसी भौतिक संपर्क के वस्तुओं को स्थिर बनाए रखता है। यानी उन्हें गिरने नहीं देता है जिसके वजह से ट्रैनों में घर्षण कम होता है या नगण्य हो जाता है। मुख्य रूप से इसका उपयोग हाई-स्पीड ट्रेनों में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे ट्रैनों की गति को बढ़ाया जा सके और घर्षण कम हो। पर अब इसी टेक्नोलॉजी में सुधार करके एक नई टेक्नोलॉजी लाई जा रही है। इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेट्स या स्थायी चुंबक का उपयोग किया जाता है जो वस्तु को ऊपर उठाने या संतुलित करने के लिए आवश्यक बल पैदा करते हैं।
लिविटेशन टेक्नोलॉजी क्या है:
लेविटेशन टेक्नोलॉजी।बहुत ही सिंपल टेक्नोलॉजी है जिसे आपने अपने घरों में अक्सर किया होगा। याद करिए जब आप छोटे थे कभी न कभी आपने चुम्बकों के साथ कुछ न कुछ खेल होगा। जब कभी आप दो चुंबक के उनके ठीक विपरीत दिशा में।लाते होंगे तो वो दूर भागते थे ठीक इसी प्रकार इस टेक्नोलॉजी में भी जब चुंबक एक-दूसरे के विपरीत दिशा में लगाया जात है या उन्हें काम में लाया जाता हैं, तो वे वस्तु को या ऑब्जेक्ट को हवा में स्टेबल बना कर रखते हैं। यह तकनीक आमतौर पर कुछ ट्रेनों, मोटर्स, और अन्य वाहनों में पहले से ही उपयोग की जाती थी। इसलिए अब लेविटेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके ट्रैनों को ट्रैक से उठाया जाएगा। और उसे विभिन्न विभिन्न प्रकार के मैग्नेटो के द्वारा संतुलित यानी स्टेबल किया जाएगा। ये मैग्नेट हाई स्पीड ट्रेन को भी High Speed में संतुलित रखती है
सबसे पहले इसका विचार तो किसी को आया नहीं था। इस टेक्नोलॉजी यानि हाइपरलूप का जो विचार है, इसे एलोन मस्क ने 2013 में पूरी दुनिया के सामने पेश किया। उनका मानना था कि इसमें ट्रेनों को एक वैक्यूम ट्यूब में उच्च गति पर चलाया जा सकता है इस टेक्नोलॉजी के प्रयोग से। अगस्त 2013 में, एलोन मस्क ( टेस्ला मोटर्स और स्पेसएक्स ) ने हाइपरलूप की एक क्रांतिकारी उच्च रूप से कि गई एक डिजाइन भी पूरी दुनिया के सामने जारी भी किया था। यहां पर स्पष्ट है कि उनकी अनूठी इस अवधारणा ने सारी दुनिया भर के लोगों और साइंटिस्ट के बीच में भारी ध्यान आकर्षित किया था ।
Hyperloop Train In India:
Hyperloop प्रोजेक्ट बहुत शीघ्र ही भारत में हकीकत होने वाला है। इंडिया में Hyperloop One ke नाम से एक प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। जिसका काम लंबी दूरी की यात्राओं को शामिल करना है, और इसके जरिए लंबी दूरी मिनटों में तय की जा सकेगी। इसका काम बड़ी तेजी के साथ स्टार्ट हो चुका है। Hyperloop सिस्टम में ट्यूब की जो सीरीज होती है उसका निर्माण USA में ही रहा है। इस कैप्सूल में इसमें बिना किसी फ्रिक्शन या हवा की रुकावट के साथ तेजी से ट्रैवल कर पाना मुमकिन है। इस कैप्सूल में लोगों को बैठने के लिए पॉड्स बने होते हैं। वहां पर काफी समय से इसकी टेस्टिंग की जा रही है और बहुत जल्द भारत में भी इसे लाने का प्लानिंग किया जा रहा है।
हालांकि अभी तक कहीं भी पूरी तरह से काम करने वाला Hyperloop नहीं बन पाया है, लेकिन जल्द ही आ सकता है। News Agency के रिपोर्ट के मुताबिक अभी काफी मुश्किलें और है जिनका सामना इंजीनियर को करना पड़ रहा हैं और इंजीनियरों के लिए ये भी सुनिश्चित करना भी बाकी है कि ये प्रॉजेक्ट लोगों के लिए कितना सेफ होगा. Virgin Hyperloop को यकीन है कि ये प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता
भारत सरकार और केंद्र सरकार ने मुंबई और पुणे के बीच में एक Hyperloop Train प्रोजेक्ट के लिए हरी झंडी दिखा दी है। मुंबई और पुणे के बीच की दूरी करीब 200 किलोमीटर की दूरी है। और ट्रायल के तौर पर सबसे पहले यही Hyperloop Train चलाया जाएगा। Hyperloop से 200 किलोमीटर की दूरी लगभग 20 मिनट में पूरी की जा सकती है या इससे कम मिनट में भी की जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। फिलहाल मुंबई से पुणे जाने मे करीब 3.5 घंटे का टाइम लगता हैं
Virgin Hyperloop One के सीईओ Jay Walder ने अभी हाल फिलहाल में कहा है, कि इंडिया में इतिहास बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि ये रेस दुनिया में सबसे पहले Hyperloop Train ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम के लिए है और जो देश इस टेक्नोलॉजी को हासिल कर लेगा वो आने वाले समय में दूसरे देशों के लिए व्यापार खोलेगा और आज के भारत का किया गया ऐलान भारत को भविष्य की टेक्नोलॉजी में इसमें आगे करता है। ये भारत की जनता तक Hyperloop Train System पहुंचाने के लिए उठाया गया एक बड़ा कदम, जिससे भारत वासियों को अधिक सुगमता प्रदान किया जा सके
Read More :