चीन कैसे बना वैश्विक महाशक्ति और भारत क्यों रह गया पीछे?

चीन : दुनिया का एक ऐसा देश जो आने वाले समय में पूरी दुनिया पर हुकूमत करने वाला है। जिस तरह से चीन अपनी अर्थव्यवस्था, अपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर, डेवलपमेंट, टेक्नॉल्जी और एजुकेशन पर काम कर रहा है, जिस तरह से वह अपने कृषि पर काम रह है जिस तरह से अपने स्पेस सेक्टर में काम कर रहा है। दिन प्रतिदिन वह अपनी फौज को  सुधार करते जा रहा है वो दिन दूर नहीं जब वह पूरी दुनिया पर वह अकेला हुकूमत करेगा। अमेरिका भी आने वाले समय मे बहुत जल्द ही चीन से पीछे हो जाएगा। 

आखिर वो कौन से कारण है जो चीन को एक सुपरपावर देश बना रहा जबकि भारत अभी भी इस दौड़ से पीछे है आइए  जानते है चीन के बारे के विस्तार से और तुलना करते है कि वह इंडिया की तुलना में कितना आगे है।

चीन और भारत : विकास की यात्रा

© Pixabay india China Economy Growth Comparison 


चीन की सभ्यता विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। यह देश उन सभ्यताओं में से आती है जिन्होंने बहुत ही पुराने समय में ही स्वतंत्र लेखन सिस्टम का विकास कर लिया था। चीन का  निर्माण ईसा पूर्व 220 में हुआ था और तब से लेकर आज तक चीन ने अभूतपूर्वक विकास किया है। 

चीन का विकास 1970 दशक के अंत से विस्तार होता है पर इससे पहले ही करीब 1959 और 1960 में चीन में एक बहुत बड़ी त्रासदी आई थी। जिसे Great Chinese Famine के नाम से जाना जाता है। इस त्रासदी को मानव इतिहास के सबसे घातक भुखमरियों में से एक माना जाता है, जिसमें लगभग 3 से 4 करोड़ लोग मारे गए थे। कई जगहों पर तो लोग केवल जीने के लिए केनिब्लिजम ( नरभक्षण ) तक करने को मजबूर हो गए थे। 

इसके बावजूद भी चीन ने अपने आर्थिक संकटों को सुधार किया और अपने औद्योगिकीकरण के माध्यम से एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में पूरी दुनिया में उभरा।

A. औधोगिक के क्षेत्र में क्रांति

आज के समय में चीन दुनिया का वो इकलौता देश जिसके पास सबसे ज्यादा मात्रा में विदेशी मुद्रा का भंडार है। यह मात्रा लगभग 3.12 खरब डॉलर के बराबर है। आज चीन की जीडीपी लगभग 11 खरब डॉलर के बराबर है जो लगभग जो इस मामले में दुनिया का दूसरा या तीसरा देश है, पर ये सब असल में हुआ कैसे महज 50 सालों में।

चीन ने 70 के दशक से ही अपने देश में आद्योगिक क्रांति का विकास का दौर स्टार्ट कर दिया था। इसका श्रेय मुख रूप से डांग स्याओपिंग को दिया जाता है श्याओपिंग ने 1978 में जिस आर्थिक क्रांति की शुरुआत की थी उसके 2025 में 47 साल हो गए हैं। डांग श्याओपिंग जिन्हें चीन की दूसरी क्रांतिवीर कहा जाता था और वास्तव म उन्होंने ऐसा काम भी किया था । 

उनके इस आर्थिक सुधार के बाद से ही चीन ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से मजबूत होने लगा था। उसके बाद चीन की जो औद्योगिक के क्षेत्र में क्रांति आई वो चीन के लिए सबसे बड़ी पहलों में से एक था।

डांग न केवल एक महान सुधारक थे बल्कि वो बेसब्र भी थे।
डांग ने जो सामाजिक आर्थिक सुधार शुरू किया था उसकी मिसाल मानवीय इतिहास में नहीं मिलती है. चीन की जीडीपी 1978 से 2016 के बीच 3,230 फ़ीसदी बढ़ी।
उन्होंने ने अपने कार्यकाल के दौरान 70 करोड़ लोगों को ग़रीबी रेखा से ऊपर लाया और 38.5 करोड़ लोग मध्य वर्ग में शामिल किया ।

चीन का विदेशी व्यापार 17,500 फ़ीसदी बढ़ा और 2015 तक चीन विदेशी व्यापार में दुनिया की अगुवा बनकर सामने आया। आप बस इस उद्धरण से समझिए जो 1978 में चीन पूरे साल जितने व्यापार किया करता था अब वो उतना महज दो दिनों में करता है। 
जो 1978 में शुरू हुए क्रांति में चीन का दुनिया की अर्थव्यवस्था में हिस्सा महज 1.8 फ़ीसदी था वो 2025 में 30 फ़ीसदी हो गया

शी जिनपिंग चीन की अर्थव्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए मैन्युफ़ैक्चरिंग के मामले में चीन को  सुपरपावर बनाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने डांग श्याओपिंग की नीतियों को ही अब तक आगे बढ़ा रहे हैं, जिनमें अर्थव्यवस्था को सभी देशों के लिए खोलना और और अपने देश के आर्थिक सुधार के लिए जीतने भी जोखिम कदम हो उनको लेकर अपने देश के हित मे  मुख्य रूप से शामिल करना।

B. इन्फ्रस्ट्रक्चर में चीन की बढ़त

© Pixabay China infrastructure

चीन की इंफ्रास्ट्रक्चर वास्तव बेजोड़ है, इनके गगनचुंबी इमारते , ब्रिज, सहरों , उनके उपर चलते ट्रेन अपने जरूर काही न काही यूट्यूब ट्विटर या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मे तो जरूर ही देखा होगा। वास्तव मे चीन ने अपने देश के इन्फ्रस्ट्रक्चर में जो बेमिसाल तरक्की किया हुआ है, वह अचानक या एकाएक नहीं हुआ है । इसके पीछे कई दशकों की मेहनत और सोच-समझ कर बनाई गई राजनेताओ की रणनीति, सरकार की नीतियाँ, उनके द्वारा विकास के मोडेल पर फंडिंग, नई नई  टेक्नोलॉजी का उपयोग करना , और एक कठोर कार्यप्रणाली का होना है। चलिए आइए हम इसको  विस्तार से समझते हैं:

1. सेंट्रल प्लानिंग और सरकार की भूमिका:

देखिए चीन एक कम्युनिस्ट देश है जहाँ वहा के सरकार का नियंत्रण बहुत मज़बूत है। सरकर अपने लोगों पर जिस तरह से पकड़ बनई है वो भी जबरदस्त है, देखिए वहाँ पर केंद्र सरकार निर्णय लेने में एकदम स्वतंत्र है और वह पर भारत जैसे देश मे लंबी और महत्वपूर्ण योजनाओ को टाल दिया जाता है पर वह पर  लंबी अवधि की योजनाओं को बिना राजनीतिक अड़चनों  के बिना कोई शोर के लागू कर सकती है। 
मै आपको यह पर कुछ उदाहरण देता हु :

  • चीन ने 1990 के दशक में ही पहला  "इन्फ्रास्ट्रक्चर फर्स्ट" मॉडल अपनाया था। जिसका  मैन  मकसद था  देश के आर्थिक विकास मे अधिक मात्र मे योगदान देना और भारी देशों से पर्यटकों को अपने देश मे लाना । 

  • "Belt and Road Initiative" जैसी परियोजनाएं आज भी इसके बेहतरीन प्रमाण हैं।इस परियोजना को चीन में one Belt One Road के नाम से जाना जाता है। इसे 2013 में चीन ने दुनिया के 150 से ज़्यादा देशों को निवेश करने के लिए आमंत्रित किया था, ताकि सभी देशों के लिए व्यापार में सुगमता आए, चीन का यह बरसो पुराना सपना था।

2. मेगा-प्रोजेक्ट्स पर तेज़ी से काम करने की कला:

देखिए चीन की खासियत है कि वह प्रोजेक्ट्स को बिना देरी के पूरा करता है इन्फैक्ट जापान और चीन जैसे देश तो मुस्किल से मुश्किल काम को भी कुछ दिनों या महीनों या सालों मे पूरा कर देते है, अपने समय की अवधि से पहले , जबकि समान उलट भारत देश मे पहले तो कोई योजना स्टार्ट ही नहीं होता और स्टार्ट होता है भी तो कुछ न कुछ दिक्कत के वजह से देरी होता रहता है 

आइए इस देश के कुछ कारनामों के बारे मे आपको रोमांचक घटनाए और योजनाओ के बारे मे बताते है:

  • बीजिंग-शंघाई हाई-स्पीड रेल जिसकी लंबाई करीब (1318 किमी) थी महज़ कुछ ही वर्षों में बन कर तैयार कर दी गई। 

  • अब आपको जानकार आश्चर्य होगा कि ये करीब 1300 किमी की हाइस्पीड रेल को चाइना ने महज 38 महीनों में बना कर तैयार कर लिया था
  • 2019 – 2020 में कोविड लॉकडाउन में वुहान सिटी में 4 अस्पताल (Huoshenshan Hospital)  को सिर्फ 10 दिनो के अंदर में बना दिया गया था कोविड के मरीजों के लिए।

3. फंडिंग और फाइनेंशियल मॉडल

चीन में सरकार और राज्य-स्वामित्व वाले बैंकों का बहुत बड़ा रोल है ये सब बैंक वास्तव में बहुत बड़ा रोल अदा करते है चीन के फाउंडेशन में:

  • सरकार कम ब्याज पर भारी लोन देती है इनको। जिसकी  वजह से वह पर बड़ी बड़ी कंपनियां तैयार हो पाती है। 

  • आज भी बड़ी बड़ी जो मल्टीनेशनल कंपनिया है, वो काफी सुगमता से बिना किसी रोक टोक के बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स को कंप्लीट कर लेती है।

  • चीनी सरकार की "Build Now, Profit Later" वाली नीति अपनाया हुआ है — चीन के अनुसार पहले ढांचा बनाओ, फिर उससे ग्रोथ निकालो ये उनके योजना का हिस्सा है। और यही प्लान से वो सुगम भी है।

4. लेबर और लॉजिस्टिक की अधिक मात्रा में उपलब्धता होना

  • आप जानते ही होंगे कि चाइना दुनिया में जनसंख्या के मामले में 2 स्थान पर है, पर कुछ सालों या दशकों तक वही नंबर 1 के पायदान पर था। और इस मामले में देखे तो u के पास दुनिया की सबसे अधिक मात्रा में युवा शक्ति भी थी, तो इस तरह से चीन में बड़ी मात्रा में सस्ती मजदूर और कुशल कारीगर और लेबर उपलब्ध थे।

  • परियोजना निर्माण के समय पर सरकार ज़मीन पर  अधिग्रहण में लोगों से बहुत कम प्रतिरोध पाती है। इसका और भी कारण है u के लोग। भारत  के तरह कम अशिक्षित नहीं है, और जो होते है भी उनको उनको अच्छे खासे मुवाजे मिल जाती है। 
    (भारत में प्रोजेक्ट्स अक्सर ज़मीन अधिग्रहण और कानूनी लड़ाईयों में फँस रहते जाते हैं, उनका फैसला ही नहीं हो पाता है।)

5. टेक्नोलॉजी और निर्माण तकनीक में इनोवेशन

  • चीन ने अपने इंजीनियरिंग सिस्टम को बहुत ज्यादा आधुनिक कर रखा है। आप अक्सर  इंस्टा टिक टोक या फेसबुक पर उनके बड़े बड़े इमारत, इमारत के ऊपर चलता हुआ ट्रेन, पेट्रोल पंप, 100 मंजिलों पर पार्क, ये सब उनके इंफ्रास्ट्रक्चर का कमाल है। इसके लिए वहां  की सरकार ने एजुकेशन और टेक्नोलॉजी पर खूब सारा पैसा इन्वेस्ट किया हुआ है जिसके फलस्वरूप आप आज के चाइना को देख पा रहे है। चीन के इंजीनियरिंग का लोहा आज पूरी दुनिया मान रहा है आज के चाइना  को देख कर हर कोई हैरान रह जाता है, 

  • आज चाइना ब्रिज, टनल और हाई-स्पीड रेलवे बनाने की तकनीक में दुनिया में सबसे आगे निकल चुका है। आज इनके ब्रिज सबसे बड़े बड़े पर्वतों पहाड़ों के ऊपर बनाया जा रहा है, ऐसे  जगह डैम बनाई जा रही है जहां पका विश्वास भी नहीं होगा। जो कि किसी भी देश के लिए बनाने में पसीने छूट जाते है, हांगकांग-झुहाई-मकाओ ब्रिज इसका जीता जगता एक उद्धरण है।

  • सुपर कम्प्यूटिंग, प्री-फैब्रिकेशन, AI, ड्रोन मैपिंग जैसे आधुनिक तरीके वहाँ के निर्माण में रोज़मर्रा का आज कल का हिस्सा बन चुके हैं। वहां पर ऐसे काम किए जा रहे है जो वास्तव में अजीब टेक्नोलॉजी को दर्शाता है। जैसे एक वर्चुअल या आर्टिफीशियल सूरज, चांद बनाना। 

    ©Pixabay 
    India China Technology

C. वैश्विक व्यापार में चीन की पकड़ और भारत की स्थिति

देखिए इस समय ट्रेड वार के चलते हम जानते है कि चीन की वैश्विक व्यापार में थोड़ी सी पकड़ ढीली हुई है पर मई महीने में एक बार फिर से चाइना ने अपनी निर्यात  में भरी भरकम उछाल मारा है। मई महीने में पिछले साल की तुलना में चीन  4.8 प्रतिशत ज्यादा का निर्यात हुआ। 

चीन इस दशक में जितने गति से अपने उत्पादों को बढ़ाया है उनका निर्यात किया है और जिस तरह से अपने व्यापार के रणनीतिक में अमूल चूल बदलाव किया है उस दृष्टि से तो भारत अभी बहुत ही ज्यादा कमजोर है। अपने हल फिलहाल ये जरूर सुना होगा कि चीन ने अपनी आवश्यकता से अपनी अपनी क्षमता से भी ज्यादा उत्पादन किया है। आधुनिक समय में चीन वैश्विक व्यापार में एक मिसाल बन चुका है जो दुनिया के कई देश अभी भी पीछे हैं।
हाल फिलहाल म ही

 चीन ने अपनी क्षमता से भी ज्यादा उत्पादन किया है जो उसे दुनिया में एक वर्ल्ड फैक्ट्री के नाम से बुलाया जाने लगा है

इसके बहुत सारी कारण हैं :
  1.  सस्ती श्रम शक्ति होना उनके पास
  2.  इंफ्रास्ट्रक्चर का अधिक मात्रा में विकास होना
  3.  सरकार के द्वारा ज्यादा समर्थन प्रदान होना 
  4.  विशाल उत्पादन क्षमता होना 
जैसे कि आप जानते ही हैं उनके पास स्टील से लेकर खिलाने कपड़ों तक का यानि की टेक्नोलॉजी के हर एक क्षेत्र उनके पास एक कुशल कारीगरी है और उसके साथ-साथ ही उनका इन सब चीजों में दबदबा भी है।

इन सब चीजों को देखते हुए भारत अभी भी वैश्विक व्यापार में बहुत पीछे चीन की तूलना में। भारत अभी एक विकासशील देश है। भारत को अभी विकसित देशों की सूची में आने में बहुत ज्यादा समय लगेगा तो हम कर सकते हैं कि भारत के पास संभावना है वैश्विक व्यापार में अपनी पकड़ बनाने के लिए और भारत के पास कुछ ऐसी विशेषता भी है जो इसे वैश्विक व्यापार में ग्लोबल पावर बन सकती है

जैसे कि

युवा शक्ति की मिसाल होना:

भारत के पास सबसे अधिक मात्रा में युवा शक्ति होना आज की आज के टाइम में भारत के पास सबसे ज्यादा युवा शक्ति है जो कि हर  देश के विकाश के लिए जिम्मेदार होती है। ठीक चाइना के पास भी ऐसी ही युवा शक्ति थी किसी जमाने में पर अब वहां पर बुजुर्गों की सांख्य बढ़ रही है।

सरकारी प्रयास :

भारत सरकार मेक इन इडिया स्टार्टअप इंडिया स्किल इंडिया और खेलो इंडिया जैसे अभियान ला रहा है जो मेनली भारत को वैश्विक मंच पर व्यापार दिलाने के लिए ही बनी है।

निष्कर्ष 

आज चीन वैश्विक व्यापार का सबसे बड़ा खिलाड़ी बना  हुआ है, पर एक समय चीन भी आर्थिक मंडी में झुझ रहा था। उसने अपने दम पर अपनी युवा शक्ति अपने ग्लोबलाइजेशन व्यापार को लेकर आज पूरी दुनिया पर हुकूमत कर रहा है।

लेकिन दुनिया अब धीरे-धीरे 'चीन के विकल्प' की खोज कर रही है। भारत के पास यह एक सुनहरा मौका है एक ऐसा अवसर है जिसे भारत को लपकना चाहिए ताकि वह वैश्विक उत्पादन और विकास व्यापार का अगला केंद्र बने। इसके लिए उसे अपने इंफ्रास्ट्रक्चर, नीति और निवेश के वातावरण में बहुत अधिक मात्रा में सुधार लाना होगा।

चीन ने अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ को राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा बना लिया बैठा है, वहीं भारत और अमेरिका जैसे देश आज भी इसे विकास का हिस्सा मानते ही नहीं हैं, न तो उनकी इसमें प्राथमिकता भी नहीं है। देखिए जब तक भारत भी इसे अपना "Growth Driver" नहीं मानता, तब तक चीन से भारत को आगे निकल पाना या उसके बराबर पहुंचना बहुत कठिन होगा 

यदि भारत ने अपने रणनीतिक में चेंजेस करती और उसे देशराष्ट्र के हित के रूप से अपने कदम बढ़ाए, तो आने वाले 15 – 20 वर्षों में वह चीन को व्यापारिक मोर्चे पर कड़ी टक्कर दे सकता है।


Neeraj Tiwari

Hey 👋 Neeraj Tiwari is professional writers author and blogger. He writes for social awakening.

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