Stree 2 Movie Review : Leading By Rajkumar Rao and Shradha Kapoor

Stree 2 : Movie Review 

स्त्री 2 आतंक सरकटे का, एक हिंदी भाषा की कामेडी हॉरर फिल्म है जिसके डायरेक्टर हमारे अमर कौशिक जी है, अमर कौशिक जी भारतीय की सिनेमा में काफी पॉपुलर डायरेक्टर माने जाते है। अमर कौशिक जी हाल ही में कुछ पापुलर फिल्मों आई थी जिन्होंने बॉक्सऑफिस पर काफी तहलका मचाया था। जैसे मुंज्या, भेड़िया, बाला आदि का निर्देशन इन्हीं के कर कमलों द्वारा किया गया है। इनमें से बाला फिल्म की बखूबी तारीफ हुई थी व लोगो के बीच काफी पॉपुलर भी हुआ था। स्त्री 2 फिल्म के लेखक निरेन भट्ट जी है ये भी हिंदी सिनेमा  के और बॉलीवुड के जाने माने लेखकों में में इनका नाम शुमार है। ये फिल्म जिओ स्टूडियो और मैडॉक फिल्म्स के परदे तले पर बनी हुई है। Jio studio भारत में अभी उभरता हुआ स्टूडियो है।

कुछ प्रमुख अभिनेताओं व कलाकारों की लिस्ट

इस फिल्म के लिए कुछ प्रमुख अभिनेता व कलाकारों को कास्ट किए गए है। फिल्म के मैन लीड रोल व एक्टर श्रद्धा कपूर जी है जिन्होंने इस फिल्म को करने के लिए तकरीबन 6Cr रुपए लिए है, इसके साथ साथ राजकुमार राव भी इस फिल्म में मैन किरदार के रूप में है, इन्होंने भी उतना ही 6Cr ही चार्ज किया है अक्षय कुमार, पंकज त्रिपाठी, तमन्ना भाटिया, वरुण धवन, व आपारशक्ति खुराना भी इस फिल्म में मौजूद है व मुख्य भूमिका में भी है। इन सबने करीब 2 से लेकर 3 करोड़ तक की रुपए चार्ज किए है। वैसे देखे तो अमर कौशिक के द्वारा निर्देशित फ़िल्म स्त्री 2 पारिवारिक एक मनोरंजक फ़िल्म है।

फ़िल्म की कहानी:

कहानी की शुरुवात उसी गांव यानी चंदेरी से स्टार्ट होती है जो पहले की इसी फिल्म के भाग पर आधारित है, पर इस बार चंदेरी गांव में कुछ नया कांड  होता है, इस बार गांव के सभी कन्याएं एक एक करे के गांव की सभी लड़कियां अचानक से गायब हो रही है। फिल्म में दिखाया गया है कि गांव में एक सिरकटे वाला भूत आया हुआ है जो एक एक करके गांव की सभी लड़कियों को अगवा किड़नैप कर रहा है। गांव के सभी लोग इस घटना से परेशान  है तो इस बार गांव की सभी लड़कियों को बचाने की जो जिम्मेदारी है, वो स्त्री नाम ( जो की श्रद्धा कपूर है) की लड़की है वो लेती है, साथ साथ स्त्री  अपनी मदद के लिए हेल्पर के तौर पर अपनी मदद के लिए वो राजकुमार राव को चुनती है कि वो उसकी मदद करेगा, ताकि वो दोनों मिलकर गांव की सभी लड़कियों को बचा सके।

यहां पर जो सरकटा राक्षस होता है जो विलेन है इस फिल्म का, वह गांव के बिट्टू (अपारशक्ति खुराना) और रूद्र (पंकज त्रिपाठी) की ( चिट्ठी और शमा) प्रेमिकाओं का अपहरण कर लेता है। पर मूवी में इंट्रेस्टिंग पार्ट यही से शुरुवात होती है, उनके अपहरण में एक ख़ास बात यह होती है कि वो जो विलेन है सरकता गांव की आधुनिक सोच की लड़कियों का ही अपहरण करता है। विक्की ( जो राजकुमार राव है फिल्म में) वो इस बात से बहुत ज्यादा हैरान  रहता है। तब उसका मदद उनके दोस्त बिट्टू, जना और रूद्र जी करते है। अब ये सब लोग मिलकर क्या गांव में होने वाली घटनाओं को रोक पाते है यही इस फिल्म की आगे की स्टोरी ह। गांव से लड़कियां ऐसे ही गायब होती। क्या सभी मित्र मिल कर कैसे उस सरकटे से लड़ते है कैसे उसको गांव से बाहर भागते है, चिट्टी और शमा क्या वापस आ पाती  है, गांव की और सभी लड़कियों को कैसे बचाते हैं, कैसे एक अनाम (श्रद्धा कपूर) लड़की जिसे पूरे गांव में कोई नही जानता कैसे इन सब का साथ देती है। इसी कहानी के आधार पर ये कहानी आधारित है। यही सब इस पूरी कहानी में दिखाया गया है। हम क्लाइमेक खराब नहीं करना चाहते तो आप सीधे जाकर थिएटर में मूवी अपने परिवार व दोस्तो के साथ देखे।

पहला और दूसरा भाग:

फ़िल्म का पहला भाग (इंटरवल से पहले) ज्यादा मजेदार लगता है। नए नए किरदार की भूमिका सामने आती है, इसके साथ ही बढ़िया बैकग्राउंड म्यूजिक से डायरेटर दर्शकों को बीच–बीच में थोड़ा डराने और चौंकाने का जो काम करते है उसमें वो  कामयाब भी रहे है। तो मजा इस बात का है सरकटे को देख कर लोगो में डर कम और हंसी ज्यादा आती है। हल्की–फुल्की कॉमेडी के साथ कुछ डबल मीनिंग संवादों के साथ पहला हॉफ समापत होता है। इसके बाद ऐसा लगता है फिल्म दूसरे भाग में फ़िल्म थोड़ी सी ढीली पड़ती है या थोड़ा सा स्लो हो गई हो। इसके साथ साथ आपका ध्यान एक दो बार घड़ी पर जा सकता है। पर क्लाइमेक्स में फ़िल्म फिर से एक बार पटरी पर लौटती है। बढ़िया सिनेमेटोग्राफी और एक्शन से अंत, फ़िल्म समाप्त होती है। फ़िल्म का गीत संगीत मन को भाएगा व फिल्म के संगीत मन को लुभाने लायक है वे बढ़िया लगते है।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? 

राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर और पंकज त्रिपाठी की जोड़ियों ने अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। इनका जो मैन काम था कॉमेडी  करना उन्हें काफी अच्छे से किया है। इन लोगों की एक्टिंग को देखने में ही आपको मजा आ जाएगा। आपका पेट हंसते हस्ते फुले नहीं समाएगा। खास तौर से राजकुमार और पंकज की कॉमिक टाइम लाजवाब व शानदार लगी है। दर्शकों ने इसे खूब प्यार दिया है व सराहना भी किया है। अपारशक्ति खुराना और अभिषेक बनर्जी ने भी दर्शकों को खूब मनोरंजन व गुदगुदाया है।

फिल्म में अक्षय कुमार का कुछ समय के लिए आना  आपको सरप्राइज कर दे सकता है, क्योंकि वो भी इस फिल्म में मौजूद है। ये निदेशक के द्वारा काफी सराहनीय काम है जिसे देखकर आप आश्चर्यचकित हो सकते हैं। अक्षय कुमार को अचानक से स्क्रीन पर देखना शानदार एक्सपीरियंस होगा आपके लिए। कुछ समय के लिए वरुण धवन भी 'भेड़िया' बनकर कुछ सीन्स में सिरकटा से लड़ते दिखाई देंगे आपको। इस फिल्म में कुछ समय के लिए तमन्ना भाटिया का भी कुछ रोल है परंतु थोड़े कम समय के लिए लेकिन प्रभावशाली रोल है उनका भी।

एक्टिंग डिपार्टमेंट:

राज कुमार राव ने अपने आभासी प्रेमिका को दिल और हाथ से याद करने वाले राज कुमार ने अपना फिल्म में शत प्रतिशत योगदान दिया है, उन्होंने बेहतरीन अदाकारी निभाई है। श्रद्धा कपूर ने भी अपने रोल को सहजता और सरलता तरीके से अच्छे से बखूबी निभाया है।

अक्षय कुमार और वरुण धवन छोटे से रोल में साधारण लगे पर दर्शकों को पसंद आए। और सभी कलाकारों  के रोल भी लोगो को ऑडियन्स को काफी अच्छे लगेगे। फिर भी ठरक भोरने वाले वरुण से बढ़िया अदकारी तो भेड़िए की रही ये मेरा मानना है। वैसे आप खुद ही फिल्म देख लीजिएगा। अगर आप फिल्म में देखेंगे कि ऐन मौके पर भेड़िया का पंच ना पड़ता तो फ़िल्म का अंत दुखद होता।

प्रेमिका को लोरियां गाकर सुलाने वाले अपारशक्ति खुराना और अभिषेक बनर्जी ने भी अपने किरदारों को बखूबी बढ़िया से निभाया। तो वहीं शमा को मौत के मुंह में पहुंचाने वाले कलयुगी परवाने यानी पंकज त्रिपाठी के वन लाइनर वाली डायलॉग भी कमाल के थे जो थिएटर में तालियों की गढ़गनहट के साथ गुजती है और ऊपर से बढ़िया अदाकारी सोने पर सुहागा उन्होंने इस फिल्म में अपने अभिनय को जीवंत कर दिया है।

राजकुमार राव, जब पंकज त्रिपाठी को कहते हैं कि आप तो चिट्ठी को छत पर ले आए थे और उसको खोल कर देखा था। तो अपारशक्ति खुराना को चिट्ठी को चिट्टी (उसकी गर्लफ्रेंड) समझ लेना, जैसे सीन बहुत ज्यादा मजेदार हैं। जो दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर देता है। 

फ़िल्म देखें या ना देखें:

एक दो कैमियो को छोड़ दे तो बाकी पूरी फिल्म काफी अच्छी तरह से बनाई गई है, फिल्म का डायरेक्शन ठीक हुआ है। पूरी तरह से यह फिल्म कामेडी हॉरर अच्छी खासी म्यूजिक से सजी हुई है।

इसलिए हॉरर, कॉमेडी फिल्म को पसंद करने वालों के लिए यह एक बढ़िया मनोरंजक फ़िल्म है। वीकेंड में आप अपने पार्टनर के साथ अवश्य देखें या फिर आप अपने परिवार के साथ मिलकर इस फिल्म का लुफ्त उठा सकते है। स्त्री 2 काफी मनोरंजक फिल्म है। पर ऐसी फिल्मों को ख़ास करके बच्चों के साथ देखना तो मूर्खता ही होगी हो सकता हो वो डर महसूस करने लगे।

इसका क्या कारण है

पहला, लाउड बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ हॉरर से बच्चे डर सकते हैं। उनके अंदर डर की भावना जाग सकती है और दूसरा फ़िल्म में बहुत सारे द्विअर्थी संवाद हैं। सोचिए! अगर बच्चा थोड़ा समझदार हुआ तो।  फिल्म हीरो हीरोइन की जो परिभाषा फ़िल्म में बताई गई है अगर बीच फ़िल्म में बच्चे उसके बारे में आपसे पूछने लगे तो क्या बताएंगे अपने बच्चों को? 

वैसे ऐसे संवाद इस तरह से बोले गए हैं कि कईयों के सर से भी गुज़र सकते हैं इनफैक्ट बच्चों के भी। ऐसे संवादों पर मेरे आगे बैठी एक महिला, प्रिय सिंह जैसी हंसी हंस रही थी मुझे तो नहीं लग रहा था उनको कुछ समझ भी आ रहा है। पता नहीं उन्हें यह संवाद समझ नहीं आ रहे थे या वो इन्हें ज्यादा एंजॉय कर रही थी।

खैर! इसके बारे में मेरा कुछ भी कहना मुश्किल है।

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Neeraj Tiwari

Hey 👋 Neeraj Tiwari is professional writers author and blogger. He writes for social awakening.

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