What is the Rank of Indian Education System in the World: How India is becoming Future Global Leaders

Indian Education System: क्या भारतीय शिक्षा प्रणाली को सुधार की ज़रूरत है?

एक समय था जब भारत विश्वगुरु हुआ करता था। तक्षशिला और नालंदा जैसा विश्व विद्यालय दुनिया भर के विद्यार्थियों का घर हुआ करते थे। लेकिन आज, क्या आपको लगता है कि indian education system अपने उस स्वर्णिम युग का एक अंश भी आपको दिखता हो ?नहीं न!

आप जानते है कि भारत एक ऐसा देश जिसके पास  विश्वगुरु बनने की क्षमता है, लेकिन क्या हमारी Indian Education System भारतीय शिक्षा प्रणाली इस सपने को पूरा करने के लायक है? देखिए हर साल करोड़ों छात्र भारत के स्कूल और कॉलेजों से ग्रेजुएट होकर निकलते है, लेकिन एक सवाल सभी के मन में हमेशा उठता है कि क्या ये सिस्टम उन्हें दुनिया के लिए बना रहा है क्या उन्हें ग्लोबल पावर के लिए तैयार कर रहा है?

देखिए अगले महीने से ही भारत के सभी राज्यों के सभी बोर्डों की परीक्षाएं होने वाली हैं उनमें से बहुत सारे छात्र छात्राएं पास होंगे बहुत सारे बच्चे फेल भी हो जाएंगे पर क्या उन बच्चों को सही शिक्षा मिल भी रही है जो उन्हें मिलनी चाहिए।

आप देखेंगे जहां दुनिया के तमाम देशो के बच्चों को शुरुवाती कक्षा से ही कोडिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोबोटिक्स और स्पेस एक्सप्लोरेशन जैसे सब्जेक्ट्स पर फोकस कर रहे हैं वही भारत में आज भी हमारे देश के लाखों छात्र अपने पुराने सिलेबस में ही अटके पड़े हुए हैं।

भारत एक युवा देश है जिसमें वर्तमान समय में दुनिया के सबसे ज्यादा नौजवान रह रहे है। पर सवाल ये है: क्या हमारी Indian Education System इन नौजवानों को इन युवाओं को Global Leader बनाने में मदद भी कर रही है।

Global Leader की दौड़ में शिक्षा एक सबसे बड़ी ताक़त होती है। तो क्या indian education system भारत के बच्चों के वो कौशल का विकास कर पा रही है?

देखिए शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबें पढ़ाना नहीं होता है बल्कि बच्चों को दुनिया के लिए तैयार करना होता है। और यहीं सब बाते बता रही विश्व के टॉप शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की जो सूची है जिसमें भारत का एक भी विश्वविद्यालय और कॉलेजों के नाम नहीं शामिल हैं।

तो आज हम बात करेंगे indian education system की कमी, उनका Global Comparison और वो सुधार जो इस देश के भविष्य को सुधार सकते हैं। इसके साथ आज हम इस बात पर भी बात करेंगे कि दुनिया की अलग-अलग Education System नए दौर में अपने छात्रों को कैसे तैयार कर रहे हैं, और भारत कहा इन सब चीजों में खड़ा है।

The Problem Of Indian Education System (भारतीय शिक्षा प्रणाली में समस्याएं)

Global Education Ranking के हिसाब से indian education system अभी भी Modernization & Equality में बहुत ज्यादा पीछे है। जबकी दुनिया एआई, रोबोटिक्स और स्पेस एक्सप्लोरेशन जैसे विषयों में नए-नए रिकॉर्ड बन रही है।

हमारे देश के लाखों छात्र आज भी रट रहे हैं और पुराने सिलेबस को दोहरा रहे है आज भी वही पुराने सब्जेक्ट्स में अटके हुए हैं। तो सवाल ये लाजमी उठता है — क्या indian education system में सुधार की जरूरत है

indian education  की सबसे बड़ी जो कमज़ोरी है वह रटना। यानी रट्टाफिकेशन करना। यहां स्टूडेंट्स कॉन्सेप्ट समझने के बजाए मार्क्स के लिए रटते हैं डिग्री के लिए बस पढ़ते है। भारत का आज का जो छात्र है वो सिर्फ मार्क्स के लिए पढ़ते हैं बिना कॉन्सेप्ट समझे हुए। एक सर्वे के हिसाब से, 80% भारतीय छात्र केवल परीक्षा पास करने के लिए पढ़ते हैं, न कि अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए न की कुछ सीखने के लिए।

ये सब प्रक्रिया उनकी रचनात्मकता और तार्किक योग्यता के सोच को दबा दे रही है। सिर्फ किताबें पढ़कर और परीक्षाएं देकर छात्र दुनिया के नेताओं नहीं बन सकते है।

Old Syllabus & Lack Of Practical Knowledge 

दूसरी समस्या है पुराना पाठ्यक्रम का होना। जब आज के दौर में पूरी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसे स्पेस एक्सप्लोरेशन जैसे सब्जेक्ट पर फोकस कर रही है तो हमारे education system में वही पुराने सिलेबस add किए जा रहे है। आज भी पुराने कॉन्सेप्ट पर ज्यादा से ज्यादा जोर दिया जा रहा है। 

हमारे पाठ्यक्रम में Ai, Climate Change और Financial literacy जैसे विषय बहुत कम हैं। जब पूरी दुनिया Adcance Technology पर Focus कर रही है तो हम अभी भी पुराने विषयों को रिवाइज करने में लगे हुए पड़े है।

Inequality is also a major problem in the Indian education system.

शिक्षा प्रणाली में असमानता भी एक बड़ी समस्या है। भारत में शिक्षा की गुणवत्ता काफी असमान है।

निजी और सरकारी स्कूलों के बीच का अंतर बहुत बड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर और रिसोर्सेस की कमी बहुत ज्यादा कमी है। प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के बीच का अंतर इतना बड़ा है कि ग्रामीण इलाकों के बच्चे – बच्चियों पीछे छूट जा रहे हैं। उन्हें वो ज्ञान वो जानकारी नहीं मिल पा रहा है जो एक प्राइवेट स्कूल के बच्चों को मिल रहा है। 

शिक्षा पर अधिकार सभी का सामन होता है चाहे वो छोटा हो या बड़ा हो चाहे वो गरीब हो या अमीर हो।

भारत के गांव के और शहरी स्कूलों में जो गुणवत्ता है उनका अंतर बहुत बड़ा है। उनके लिए (शहरी छात्रों) के लिए उन्नत सुविधा है वही ग्रामीण छात्रों के लिए एक पीने के पानी का नल भी नहीं है। बुनियादी शिक्षा का अंतर भी बहुत बड़ा है जो छात्रों के लिए एक संघर्ष पैदा कर रहा है। 

The Pressure Of Marks

वैसे भी हमारे देश में अभी भी सफलता का मतलब सिर्फ मार्क्स और रैंक लाना है। अगर किसी ने ज्यादा मार्क्स व परसेंटेज ला दिया तो वह सफल बच्चों में से एक है। Skills, Innovations and Textual activity को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है भारत में। उनके माता पिता भी यही करते है उनको बस 100% मार्क्स या नंबर से मतलब होता है।

और अब बचे भारत के टॉप स्टूडेंट्स जो छात्र उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका, यूरोप, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पढ़ने जा रहे हैं। वहां से पढ़कर वापस लौटने वालों की संख्या बहुत ज्यादा कम है, जो एक Brain Drain Crisis पैदा कर रहा है इंडिया में।

Lack Of Teacher training & Upskilling 

इंडिया के जो शिक्षक है जो एक education system की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं, उनकी ट्रेनिंग और अपस्किलिंग पर ध्यान ही नहीं दिया जाता है। एक शिक्षक जो है वो 50-80 छात्रों को एक साथ व्यक्तिगत शिक्षा दे रहा है।

इसके अलावा उन अध्यापक को Traditional teaching practices का ही ज्ञान है इससे छात्रों में तो जरा सा भी Creativity और Innovation को बढ़ावा ही नहीं मिलता। कक्षाओं में बस theoretically ज्ञान दिया जाता है, जो Global Challanges को सॉल्वकरने के लिए काफी ही नहीं है।

Global comparison in education systems

1. फिनलैंड -

फ़िनलैंड दुनिया के टॉप 1 Education System में से एक है। यहाँ छात्रों पर प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव ही नहीं होता। टीचर्स High Skilled होते हैं, और Practically Knowledge के साथ साथ Creativity Education पर भी फोकस करती है।

2. USA - Center Of Innovation:

अमेरिका की education system अपने छात्रों को अपनी विशिष्ट पहचान का पता लगाने का मौका देता है। वहा पर छात्रों को कई क्षेत्रों में अपने लिए अवसर तलाशने का अवसर मिलता है। वहां के रिसर्च ओरिएंटेड विश्वविद्यालयों और टेक्नोलॉजी ऑपरेटेड स्कूल्स ने दुनिया के टॉप कम्पनियां ओर Global Leaders को बनाए हैं। आज भी हार्वर्ड और एमआईटी जैसे संस्थान दुनिया के शीर्ष इनोवेटर्स को जन्म देते रहते हैं।

इसके अलावा वर्ल्ड टॉप 100 यूनिवर्सिटीज में तो आधी से ज्यादा की यूनिवर्सिटीज तो इन्हीं की भरी पड़ी हुई हैं।

अपने तो एक भी आईआईटी का रैंक नहीं शामिल है। आईआईटी बॉम्बे और दिल्ली जैसा इंस्टीट्यूट 150 से लेकर 200 रैंक पर स्थित है।

3. चीन :–

चीन ने अपने एजुकेशन सिस्टम में टेक्नोलॉजी से लैस कर दिया है यानि पूरी तरह से टेक इंटीग्रेट कर दिया है। यहां के स्टूडेंट्स को स्कूल लेवल से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स और कंप्यूटर कोडिंग जैसी स्किल सिखाई जा रही है। ये सभी स्किल्स को स्कूल लेवल से ही सीखना शुरू कर दे रहे है वहां के स्टूडेंट्स।

4. Germany - Double Education Model:

जर्मनी में Double Education System चलता है, इसमें छात्र कक्षा में सीखने के साथ-साथ एक नए कौशल सीखते हैं वो भी पढ़ने के साथ साथ। यहां का वोकेशनल ट्रेनिंग सिस्टम दुनिया में तो एक मिसाल है। यहां स्टूडेंट्स थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल स्किल्स सीख रहे हैं, जो उन्हें Global Leaders के लिए तैयार कर रहा है ।

5. France & England:

फ्रांस और इंग्लैंड ने 15 वीं शताब्दी से अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना स्टार्ट कर दिए थे। इनका फोकस पहले से ही रिसर्च और इनोवेशन पर था। इसी वजह से ये देश दुनिया के हर कोने में अपनी अथॉरिटी बनाए रखे हुए है आज भी। यहां के विश्वविद्यालय भी बहुत पुराने समय के जैसे ऑक्सफोर्ड कैंब्रिज और सोरबोन यूनिवर्सिटी। जो बहुत ज्यादा फेमस है और दूर दूर से लोग पढ़ने के लिए आते है।

Where is India Stand?

जब दुनिया नए दौर की Education System को अपना रही है, तब भारत अभी भी अपनी पुरानी चुनौतियों से जूझ रहा है। भारत को सुधार करना चाहिए।

1. भविष्य के कौशल पर ध्यान देना 

स्कूल स्तर पर ही एआई, रोबोटिक्स, कोडिंग और इनोवेशन जैसे सब्जेक्ट्स को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए।

2. डिजिटल विकास करना :

डिजिटल डिवाइस  की दूरियों को पाटने के लिए सरकार को ग्रामीण और दूरदराज के स्कूलों में मुहिम चलना चाहिए। उन स्कूल कॉलेजों में डिजिटल उपकरण और इंटरनेट जैसी सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।

3. शिक्षक का कौशल पर ध्यान देना।

शिक्षकों के लिए एआई-संचालित शिक्षण विधियां के लिए  तैयार करना चाहिए और उन्हें सॉफ्ट skill प्रशिक्षण के कार्यक्रम से अनिवार्य होना चाहिए।

भारत के पास प्रतिभा और क्षमता की कमी नहीं है। इसरो और आईआईटी की अनगिनत सफलता की कहानियां ये साबित भी करते हैं कि अगर सही मंच और अवसर मिले, तो हम दुनिया में किसी से देश के लोगों से कम नहीं। बस हमारे सिस्टम में सुधार लाना है। हा मुश्किल जरूरी है, लेकिन नामुमकिन नहीं है

अगर indian education system को अगर Global Leaders पैदा करना है तो कुछ बड़े सुधार जरूरी हैं। जैसे

  • स्टूडेंट्स को थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल और वोकेशनल ट्रेनिंग देना होगा, जिसे उन्होंने जॉब मार्केट के लिए तैयार किया जा सके। हर छात्र के लिए एक व्यावसायिक प्रशिक्षण का मॉड्यूल होना चाहिए।
  • 21वीं सदी के skill सब्जेक्ट जैसे AI, Coading और Financial Literacy, Climate Changes & Entrepreneurship जैसे विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करना पड़ेगा।

  • हमे शिक्षकों के लिए नियमित कौशल और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना होगा, ताकि वो नए जमाने की तकनीकों को अपना सकें।
  • सरकारी और निजी स्कूलों के बीच का अंतर ख़त्म करना होगा, जिसके ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों को Advance Technology & Advance infrastructure से सुसज्जित करना होगा।
  • रिसर्च और स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देना पड़ेगा जिसके लिए सरकार को निवेश करना पड़ेगा।
  • भारतीय विश्वविद्यालयों को वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करनी होगी, जिससे छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन और अनुभव मिलेगा।"

भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार लाना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन ये संभव है। एक नए भारत की कल्पना वही संभव है जब हमारे छात्र सिर्फ पढाई में नहीं,  बल्कि नेतृत्व और नवाचार में भी नंबर 1 पर होंगे।

भारत के पास एक मजबूत शिक्षा प्रणाली बनाने की क्षमता है, जो सिर्फ हमारे युवाओं के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन सकता है।"

भारत के पास संभावनाएं हैं कि ये दुनिया के सबसे बड़े नेताओं को तैयार करें। भारत में शिक्षा का मतलब सिर्फ डिग्री नहीं लेना होना चाहिए, बल्कि भविष्य के लिए तैयार इंसान का निर्माण करना होना चाहिए। अगर सही सुधार आए, तो भारत दुनिया में Global Power बन सकता है

Neeraj Tiwari

Hey 👋 Neeraj Tiwari is professional writers author and blogger. He writes for social awakening.

Post a Comment

Previous Post Next Post