What is a Black Hole? What Happens Inside a Black Hole? The Universe’s Greatest Mystery Explained

‌दोस्तो! हमारे यूनिवर्स में अनेक प्रकार के रहस्य भरे पड़े हुऐ है उन्ही रहस्य में से एक है ब्लैक होल। यह अभी तक यूनिवर्स में सबसे कॉम्प्लिकेटेड ऑब्जेक्ट में से एक है जिसके बारे में हमे बहुत कुछ ही मालूम है।

Non Copyrighted Image From Pixabay 

2014 में अगर आपको याद हो तो डायरेक्टर Christopher Nolan की एक Science – fictional movie आई थी, जिसका नाम था interstellar। इस फिल्म में स्पेस रिलेटेड कांसेप्ट लाइक Black Hole, Wormhole, Alien Planets इन सब को बड़ी scientifically accurate तरीके से दिखाया गया था। लेकिन शायद सबसे मजेदार क्लाइमेक्स  इस फिल्म के अंत में था। जब फिल्म का मैं करेक्ट Cooper एक Black Hole में गिर जाता है। अब इस जो ब्लैक होल का नाम होता है वो होता है "Gargantua." Cooper अपने Spaceship को लेकर इस  black hole में गिरता चला जाता है, शुरू शुरू में इनके आस पास सबकुछ काला नजर आता है। यानी चारों तरफ इनके अंधेरा होता है। लेकिन जैसे ही Cooper अंदर गिरता है तो कुछ फ्लैश पार्टिकल सामने दिखाई पड़ता है। ये पार्टिकल इनके स्पेसशिप से लगती है और कुछ लाइट की फ्लैश निकलती है कुछ चिंगारियों जलती है और इनके स्पेस क्राफ्ट में आग लग जाती है। स्पेसक्राफ्ट में आग लगने की वजह से इनको मजबूरन अपने स्पेसशिप से इजेक्ट करना पड़ता है, अब ये black hole के अंदर और गिरते चले जाते है। लेकिन फिर अचानक से ये अपने आप को एक 5th Dimension में पाते है। यह बहुत ही दिमाग हिला देने वाली घटना थी मूवी में। एक ऐसा जगह जहां से ये अपने पास्ट में कम्युनिकेशन कर सकते थे, with the help of Gravity। अब ये सब देख कर एक बड़ा सवाल हम सभी के मन में आया हुआ था।

क्या ये सब पॉसिबल है, क्या ब्लैक होल के अंदर सही में ऐसा कुछ होता है? अगर हम सच में एक black hole के अंदर गिर जाए तो क्या होगा? हमें हमारे आस पास क्या दिखाई देगा? तो चलिए जानते है समझते है आज इन सवालों के जवाब को आज के इस आर्टिकल में।

Black Hole की खोज 

18 वीं शताब्दी में, जॉन मिचेल और पियरे-साइमन लाप्लास इस तरह के ऑब्जेक्ट पर विचार करने वाले पहले पर पर्सन थे वो मानते थे कि यूनिवर्स में ग्रेविटेशनल फोर्स इतना मजबूत हो सकता है कि जहां से लाइट भी नही बच सकता। बाद में आइंस्टीन ने पहली बार 1916 में अपने General theory of relativity के माध्यम से ब्लैक होल के बारे में भविष्यवाणी की थी। आइंस्टीन ने जनरल theory of relativity को डेवलप किया था और दिखाया कि ग्रेविटी लाइट एंड साउंड को कैसे influence करता है। एक सदी से भी पहले,आइंस्टीन ने दुनिया को चौंका दिया था जब उन्होंने अपने General Thereoy of Relativity के माध्यम से यूनिवर्स को एक्सप्लेन किया था।

अब यह प्रिंसिपल न केवल स्पेस,टाइम , ग्रेविटी को influence करता था infact दो matter या  object के बीच के रिलेशन को भी बहुत ही अच्छी तरीके से एक्सप्लेन किया करता था, बल्कि इसने एक विशेष रूप से दिमाग को हिला देने वाली घटना की थ्योरिटिकल जन्म दे दिया था। जिसे बाद में फाइनली ब्लैक होल कहा गया।

अब ब्लैक होल को डिफाइन करने वाली सिद्धांत इतनी पेचीदा थी, की वास्तव में, आइंस्टीन,को खुद ही गलतफेहमी थी इसको लेकर। आइंस्टीन जानते तो थे Gravity Time को slow कर देता है यानि जहां Gravity का Effect ज्यादा होता है वहां Time slowly गुजरता है और जहां Gravity कम होता है वहां उसके comparision में Time ज्यादा गुजरता है यही Theory Of Relativity का Time Dilation था।

आइंस्टाइन ये तो जानते थे की Gravity light को भी bend कर देती है और लाइट को एक अलग रास्ते से जाने के लिए मजबूर कर देती है अगर आज के समय में इसे देखे तो इसे ग्रेविटी लेंसिंग कहते है आइंस्टीन को ब्लैक होल को लेकर विश्वास नही था की स्पेस में कोई ऐसी भी चीज होंगी जो टाइम और लाइट दोनों को होल्ड कर देती होगी। आइंस्टिन ने तो 1939 के एक पेपर के article में खुद ही बताया था की इसका विचार "विश्वसनीय नहीं" है और ऐसी तरह की घटना "रियल दुनिया में exist ही नहीं कर सकती है।

पर कई साल बाद करीब 1967 में एक अमेरिकी एक space scientist जॉन व्हीलर ने इसका एविडेंस दिया और उन्होंने ही सबसे पहले इसी चीज को डिफाइन करने के लिए ब्लैक होल शब्द का इस्तेमाल किया। 

दोस्तो दशकों तक ब्लैक होल को केवल theorytical ही जाना जाता था। इसका सबसे बड़ा रीजन था कोई एविडेंस न होना क्युकी हमारे पास ब्लैक होल का कोई इमेज नही था हम ब्लैक होल को डिटेक्ट ही नही कर पा रहे थे।

ब्लैक होल की पहली इमेज कैसे लिया गया

पर 10 अप्रैल 2019 को यह हकीकत सच मे बदल गई। 10 अप्रैल की दोपहर दुनिया के छह जगहों पर scientists प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ब्लैक होल की रियल pic जारी करते है। ये तस्वीर किसी कलाकार या कंप्यूटर के द्वारा नही बनाई गई थी infact इसको एक इवेंट होराइजन टेलिस्कोप से लिया गया था। इवेंट होराइजन टेलिस्कोप को खास ब्लैक होल की तस्वीर लेने की लिए ही बनाया गया था। दुनिया भर में करीब छह जगहों पर ये टेलिस्कोप लगाए गए थे जिनमे से हवाई, एरिजोना, स्पेन, मेक्सिको, चिली और दक्षिणी ध्रुव शामिल थे। हर एक टेलिस्कोप एक फुटबॉल पिच के बराबर के आकार का था। जो सोचने वाली बात है

इनको जोड़कर बनाए गए टेलिस्कोप का डॉयमीटर करीब 12,000 किलोमीटर का था। यानी 2019 के बाद से ब्लैकहोल प्रैक्टिकली भी प्रूव हो गया की ब्लैक होल यूनिवर्स में Exist करते है  तो आइए जानते है दोस्तो What is black holes and How black holes are formed in univers?

ब्लैक होल स्पेस में वह जगह होता है जहां फिजिक्स का कोई नियम काम नहीं करता है मतलब टाइम एंड प्लेस का कोई मतलब ही नहीं होता है। वहा only gravity and darkeness होता है।

एक ब्लैक होल स्पेस में मौजूद एक ऐसा स्थान है जहां ग्रेविटेशनल फोर्स बहुत ज्यादा होता है. इतना ज्यादा कि वहां से light भी बाहर नहीं निकल पाती है. इसके अंदर का ग्रेविटी इतना पावरफुल होता है जिसको आप इमेजिन भी नहीं सकते हैं।ब्लैक होल में ग्रेविटी इतना पावरफुल होता है कि अगर कोई स्टार, या फिर प्लैनेट इसके नजदीक आ जाए तो तो यह उसे भी अपने अंदर खींच लेगा और एक पुट्टी की तरह संकुचित कर देगा, इसको साइंटिस्ट स्पेगेटीफिकेशन के नाम से बुलाते है 

ब्लैक होल कैसे बनता है?

सबसे पहले यह समझने के लिए की एक ब्लैक होल्स कैसे बनते है इससे पहले आपको कुछ important चीज़ों को जानना होगा। Ex: What is super nova, What is nutran star, what is Pulsar star. so let's start now one by one

दरसअल बात ऐसी होती है कि ऐसे huge star जिनकी almost सारी एनर्जी जब खत्म हो जाती है, तो उनके अंदर एक बहुत बड़ा ब्लास्ट होता जिसे हम सुपरनोवा के नाम से जानते हैं। अगर सीधे सीधे शब्दों में कहे तो।

सुपरनोवा: 

किसी विशालकाय तारे के विस्फोट को कहते हैं।

न्यूट्रॉन स्टार : 

After Blast यानी कि सुपरनोवा के विस्फोट होने के बाद जो भी मैटर बचता हैं वो धीरे धीरे सिमटने लगता हैं और फिर एक समय के बाद सिमटते सिमटते बहुत ही बड़े ऑब्जेक्ट का फॉर्म ले लेता है । इनमे ग्रेविटी की pressure बहुत ज्यादा होता है जिसके कारण वो collapse हो कर कर एक ऑब्जेक्ट का निर्माण करते हैं और यही न्यूट्रॉन स्टार होता हैं। इनका न्यूक्लियर Density इतना Dence होता है जिसको आप imagine भी नहीं कर सकते है। यह बहुत ज्यादा होता है।

पल्सर : 

यह बहुत तेज गति से spin करने वाले न्यूट्रॉन स्टार होते है जो इलेक्टो मैग्नेटिक पार्टिकल प्रोड्यूस करते हैं।

अब आइए जानते है ब्लैक होल का निर्माण कैसे होता है 

ब्लैक होल का निर्माण ब्रह्माण्ड में उपस्थित heavy star के डेथ से होता है। सभी तारों में उनकी खुद की लाइट होती है स्वयं का प्रकाश होता है। यानी उनमें लाइट उन तारों में होने वाले Nuclear fusion से आती है। हर एक स्टार की जन्म होता है और हर एक स्टार की deth होता है। जब तारों के अंदर का fuel, हाइड्रोजन समाप्त हो जाता है तो तारे के कोर के भीतर हो रही nuclear fusion का reaction unbalance हो जाता है, जिसके result में वे स्वयं में ही collapse कर जाते हैं। तारों की कोर में उपस्थित हाइड्रोजन फ्यूज़ होकर हीलियम, हीलियम फ्यूज होकर कार्बन, कार्बन फ्यूज़ होकर नियॉन, यह साइकिल चलती रहती है तथा end में कोर आयरन में चेंज हो जाती है। और फ्यूजन की क्रिया बंद हो जाती है। फ्यूजन की क्रिया बंद होते ही कोर की ग्रेविटी, बहार की ओर लगने वाले pressure से बहुत अधिक हो जाता है और कोर अपने ही Gravitational force के कारण अपने ही अंदर सिकुड़ना स्टार्ट कर देता है। यह बहुत ही कम समय में अरबों किलोग्राम mass अपने अंदर खींचने लगता है जिसके फलस्वरूप एक महाविष्फोत के साथ तारा फट जाता है। स्टार्स के फटने की इस क्रिया को सुपरनोवा कहते हैं। जिससे भयंकर एनर्जी प्रोड्यूस होती है। यह एनर्जी बहुत अधिक मात्रा में होती है। अब आप समझ लीजिए हमारा Sun से जितना एनर्जी हमें अपने पूरे लाइफ टाइम में प्रोड्यूस करता है उससे लगभग सौ गुना एनर्जी सुपरनोवा के टाइम प्रोड्यूस होती है अब विस्फोट के बाद जो मैटर बचता है वह धीरे धीरे सिमटना शुरू हो जाता है और बहुत ही dense object का फॉर्म ले लेता है जिसे न्यूट्रॉन स्टार कहते हैं। अगर न्यूट्रॉन स्टार बहुत विशाल है तो गुरुत्वाकर्षण का pressure इतना होगा कि वह अपने ही बोझ से सिमटता चला जाएगा और इतना dence हो जाएगा कि वे एक ब्लैक होल बन जाएगा। अगर हम इसे बहुत अच्छी तरीके से समझे तो थेरेटिकली रूप से पॉसिबल है , कोई भी matter एक ब्लैक होल बन सकता है,Basically यदि किसी भी Object को उसकी Schwarz child Radius तक Compress कर दिया जाये तो वह Black Hole में Convert हो जायेगी। अब वह कोई Star या कोई भी पिंड हो सकता है यह तक की हम अपने सूरज को और अर्थ को भी ब्लैक होल बना सकते है बस फर्क यह की sun इतनी जगह के भीतर संकुचित हो जाय जिसकी रेडियस अपनी स्च्वार्ज्स्चिल्ड रेडियस के बराबर हो।

अब यह क्या है?

अब ये भी उसी प्रकार के साइंटिस्ट थे। इनका भी उतना ही योगदान था जितना कि सभी साइंटिस्ट का। इन्होंने एक फॉर्मूला दिया था जिससे की हम ब्लैक होल को और अच्छे तरीके से समझ सकते है According to that हमारे सूर्य का mass 3 कि. मी. की रेडियस में और पृथ्वी करीब 9 मि.मी. के रेडियस के अन्दर compress होकर कोलैप्स हो जाए तो यह ब्लैक होल में चेंज हो सकते हैं। व्यावहारिक रूप में इलेक्ट्रॉन और न्यूट्रॉन दबाव के विपरीत न तो। देखिए पृथ्वी और न ही सूरज में उतना आवश्यक द्रव्यमान नहीं है और इसलिए इनके पास इतनी Gravitational force bhi nahi है। 

पर ब्लैकहोल में एक ऐसा स्पेस होता है होता है जहाँ मैटर को बहुत ज्यादा compress hone ke कारण से infinity density हो जाती है, और gravitational पुल infinity पावरफुल होता है अब इसी एरिया को सिंगुलर्टी कहा जाता है। सिंगुलर्टी means black hole की वह small point यानी  वह छोटी से छोटी स्थान जहां सभी उसके Mass Collapse हुए होते है। यह बेहद पावरफुल Gravity वाला प्लेस होता है जिसके खिंचाव से कोई नहीं बच सकता। 

Means no one can escape from this even if लाइट जो यूनिवर्स की सबसे फास्टेस्ट चीजो में से एक है। अगर लाइट भी यहां इंटर कर जाए तो वो भी बाहर नहीं निकल सकता। पर रुकिए जरा क्या आपके मन में सवाल नही आता कि आख़िर ऐसा क्यों होता है की लाइट भी बाहर नहीं निकल पाता इसी बच कर।

इसको समझने के लिए आपको समझना होगा कि साइंटिस्ट लोग ब्लैक होल को कैसे डिफाइन करते है कैसे ब्लैक होल को explain करते है।

देखिए साइंटिस एक ब्लैक होल्स को अक्सर एक ऐसे ऑब्जेक्ट के रूप में explain करते है  जिनका Escape Velocity Light की स्पीड से भी ज्यादा हो।

Escape Velocity Means पलायन वेग:

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि पलायन हो जाना मतलब, इतनी speed achive कर लेना की कोई भी ऑब्जेक्ट उस प्लैनेट से या फिर उस ब्लैक होल के ग्रेविटी के एरिया से बाहर निकल सके। मतलब Escape Velocity वह minium speed होती है जो एक ऑब्जेक्ट में होनी चाहिए ताकि वह ऑब्जेक्ट रुकने से पहले किसी भी ऑब्जेक्ट के gravitational fields की orbit से बचकर बाहर निकल जाये। यहा मैं आपको एक सीधे से उद्धरण से समझता हु, अगर किसी भी रॉकेट को अपने earth की orbit से बाहर निकलना है तो उसकी speed minimum 11.2 किमी/सेकंड के बराबर होनी चाइए क्युकी अर्थ की Escape Velocity ही 11.2 km/Sec है। इसलिए ऑब्जेक्ट चाहे रॉकेट हो या फिर कोई गोली या फिर एक बॉल, इसे पृथ्वी की Surface पर वापस गिरने से बचने के लिए कम से कम 11.2 किमी/सेकंड की स्पीड से चलना ही होगा। 

इसी तरह लाइट को भी अगर एक ब्लैक होल के अंदर से बाहर आना होगा तो उसे ब्लैक होल की Escape Velocity से मतलब उसके Gravity के Pullness की स्पीड से ज्यादा चलना होगा। यहां पर ये कोई आंसर कहना सही नहीं होगा की ब्लैक होल के अंदर कुछ नही है। जिसके वजह से से लाइट रिफ्लेक्ट होकर नही आ पा रही है।

बल्कि सच बात तो ये है की ब्लैक होल की Gravity इतना ज्यादा powerfull है इतना ज्यादा स्ट्रांग है कि Light को बाहर जाने ही नही देता। उसे अपने अंदर ही absorb कर लेता है।

अब एक प्रश्न मन में यहां पर और उठा है की ब्लैक होल के आस पास क्या क्या होता है। ब्लैक होल में गिरने पर या फिर उनके अंदर ही इंटर करने हम क्या देखेंगे क्या मिलेगा हमको।

सबसे पहले जब आप एक ब्लैक होल के पास पहुचेंगे तो आपको इवेंट होराइजन देखने को मिलेगा 

Event Horizon: 

अब यह एक ऐसी लिमिट होती है, जहा उस पार होने वाली कोई भी incident इस पार के यूनिवर्स में कोई इफेक्ट नहीं डाल सकती। यानी उसके पार Gravity इतना ज्यादा हो जाता है कि, कोई भी Object उससे बाहर नहीं निकल सकता है। 

Hawking Radiation: 

सेकंड आपको हॉकिंग रेडिशन देखने को मिलेगा यह एक प्रकार का रेडिएशन होता है जो ब्लैक होले के पास इवेंट होराइजन के पास क्वांटम प्रभावों से प्रोड्यूस होता है, जो किसी भी ऑब्जेक्ट को राख में तब्दील कर सकता है क्षण भर में ही। इसको Stephen Hawking ने 1974 में डिस्कवर किया था। तो इसको हॉकिंग के नाम से ही जाना जाता है। अब ये सब ब्लैक होल के आस पास की चीज है जो मैं आपको बता रहा हु।

तीसरा आप Time travel कर सकते है

Newton ने कहा था की Time Absolute होता है जिसका मतलब Time हर जगह हर स्थिति में एक ही एक सामान होता है। Albert Einstein की The Theory of Relativity में Time Dilation है जिसके अनुसार Time Relative है यानि Time हर जगह अलग अलग हो सकता है और यही सही भी है। Present में यह prove हो चुका है कि Gravity Time को धीमा कर देती है यानि Time Travel Possible है। पर संभवत हम Future में जा सकते है Past में नहीं। Time को खींचा जा सकता है पर दबाया नहीं जा सकता है। यही एक कारण है जिसके वजह से हम पास्ट में नहीं जा सकते है।

Time Travel करने के लिए हमे किसी ऐसी जगह जाना पड़ेगा। जहां Gravity बहुत ज्यादा हो जैसे Black hole के पास होती है, Black Hole के पास किसी Planet पर रहा जाए। जहा बहुत ज्यादा Gravity के कारण Time बहुत धीमा हो जायेगा।

Time Travel करने के लिए हमे किसी ऐसी जगह जाना पड़ेगा जहां Gravity बहुत ज्यादा हो जैसे Black hole के पास होती है Black Hole के पास किसी Planet पर रहा जाये भूत ज्यादा g Gravity के कारण Time बहुत धीमा हो जायेगा जैसे यदि Black hole के पास के Planet पर हम 1 साल रहते है तो हमारी पृथ्वी पर 100 साल गुजर जायेगें और फिर हम वापस अपनी Earth पर आएंगे तो हम 100 साल Future में होंगे Basically Time का अंतर Gravity पर Depend करेगा जितनी ज्यादा gravity उतना Time धीमा हो जायेगा पर ब्लैक होल का पता कैसे लगाया जाता है? ये तो हम जानते ही नहीं। चलिए मैं बताता हु।

ब्लैक होल invisible होते हैं इन्हे केवल स्पेशल टूल्स के जरिए ही देखा जा सकता है जैसे कि स्पेस में टेलीस्कोप की मदद से आस-पास के तारो के व्यवहार को देखकर ही पता लगाया जा सकता है।

कोई चीज़ हमे तब दिखती जब उस पर प्रकाश पड़ता है और वहां से Reflect हो कर हमारी आँखो में जाता है इसी का उल्टा हम सोचें ऐसी जगह जहां पर Light जा रही है पर किसी पर focus नहीं कर रहा हो जैसे किसी अंधेरे में घर में torch जलाने के बाद उसका Point नहीं दिख रहा हो की यह कहाँ पड रहा है। ठीक ऐसा ही Space में होता है।

Black Hole को ढूंढने के लिए हमें Gravity का सहारा लेना पड़ता है। साइंटिस्ट उन्हें मजबूत गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से पता लगाते हैं, जो आसपास की वस्तुओं जैसे सितारों, ग्रहों को इंपैक्ट करता हो साइंटिस्ट यह पता लगाने के लिए, स्टार्स और अन्य एलिमेंट्स के व्यवहार को study करते हैं। इसके अलावा, हाई एनर्जी लाइट एमिशन के जरिए भी पता लगाया जा सकता है कि वहां पर ब्लैक होल्स है कि नहीं। Poweful telescop use करके इन रोशनियों का पता लगाया जा सकता है।

हम डायरेक्टली तो ब्लैक होल को विजुअलाइज नही कर सकते हैं। हालाकि आसपास के इनवायरमेंट को देख कर उसके पावरफुल ग्रैविटी influence ke द्वारा उनके Pressence का अनुमान जरूर लगाया जा सकता हैं।

यह पूरा ब्रह्माण्ड रहस्यों से भरा है जिनमें ब्लैक होल सबसे बड़े mysterious से एक है। एक काले पिंड में लाखों ग्रह समा सकते हैं ये थ्योरी मूवी या इमेजिनेशन तक सीमित नहीं है infact ये हमारे यूनिवर्स की हकीकतों में से एक है।


Neeraj Tiwari

Hey 👋 Neeraj Tiwari is professional writers author and blogger. He writes for social awakening.

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