महाकुंभ 2025: इस बार का महाकुंभ क्यों है खास, जानिए कुछ रोचक तथ्य
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इस बार का महाकुंभ बेहद भव्य और सुनियोजित तरीके से उत्तर प्रदेश के सरकार द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में यानि इस 45 दिनों में लगभग श्रद्धालुओं का ताता लगा रहेगा। उत्तरप्रदेश सरकार ने अनुमान लगाया है कि इस बार 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु इस महाकुंभ में शामिल होंगे। तो आइए जानते हैं विशाल महाकुंभ और इसकी तैयारियों के बारे में क्या कुछ खास बातें है।
शाही स्नान: महाकुंभ का मुख्य आकर्षण
महाकुंभ में शाही स्नान का दिन बेहद खास होता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए एकत्रित होते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस समय संगम में स्नान करने से पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
साधु-संतों और भक्तों के साथ संगम में लिया गया शाही स्नान महाकुंभ का सबसे बड़ा आकर्षण होता है।
महाकुंभ 2025 की शुरुआत
महाकुंभ मेला सोमवार, 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर बुधवार, 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।
इस बार का महाकुंभ क्यों खास है?
प्रयागराज का महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है जो सनातन परंपरा में आदिकाल से इस मेला का आयोजन होता चला आ रहा है।
आचार्य रामकिशोर तिवारी कहते हैं – “यही वह स्थान है जहाँ आस्था और दिव्यता का संगम होता है। यह वही स्थान है जहां पर अमृत की बुंदे गिरी थी, सनातन धर्म में इस स्थान का आपना एक अलग महत्व है।”
जौनपुर से आई 60 वर्षीय श्रद्धालु अर्पिता देवी ने कहा – “मैंने वर्षों से इस पावन क्षण की प्रतीक्षा की थी। उन्होंने कहा संगम में डुबकी लगाने के विचार मात्र से ही मेरी आँखों में आँसू आ जाते हैं। गंगामैया ने उनकी पुकार सुन ली और इस बार वह पवित्र डुबकी लगाकर अपने आप को धन्य मान रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इस बार उनके पूरे रिश्तेदार व गांव के सभी लोग इस बार महाकुंभ मेला में स्नान के बारे में सोच रहे है। ”
जूना अखाड़े के नागा साधु स्वामी श्री बापू जी मुरारी गोविंददास जी बोले – “शाही स्नान वह क्षण है जब हम ईश्वर से अपने सबसे शुद्ध रूप में जुड़ते हैं। इसके लिए हम महीनों तक ध्यान और उपवास करते हैं। हम साधु संत महात्मा लोग ऐसे अवसरों का जन्म जन्मांतर तक प्रतीक्षा करते रहते है, इस बार का कुंभ सभी पापो को हर लेने वाला है।”
शाही स्नान का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में कुंभ की उत्पत्ति समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है। वर्षों प्राचीन मान्यता है कि उस राक्षसों और देवताओं के बीच अमृत के बुंदे को लेकर झगड़ा चल रहा था। देवता लोग अमृत कलश को लेकर भाग रहे थे, की अमृत के कलश में से अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों पर गिर जाती है प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन ये वही स्थान है जहां पर अमृत की चार बुंदे गिरी थी। इन्हीं स्थानों को सनातन धर्म में सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है और इन्हीं चारों स्थानों पर सनातन काल से ही स्नान का सिलसिला लगता चला आ रहा है। यहाँ स्नान करने से लोगो का मानना है कि उनके पाप नष्ट होकर उनके लिए मोक्ष का मार्ग खुलता है।
शाही स्नान के समय गेरुए वस्त्रों में साधु-संत, रुद्राक्ष की मालाओं से सजे, त्रिशूल लेकर संगम की ओर बढ़ते हैं। और भोर काल में शाही स्नान करते है।
निर्णजनी अखाड़े के महंत सम्पूर्णनंद गिरी कहते हैं – “शाही स्नान एक ऐसा आत्मिक आनंद का क्षण है। जिसे हम बाया नहीं कर सकते है। यह साधु संतों का का एक ऐसा पल होता है जिसमें वह पंचतत्व में विलीन हो जाते है कुछ समय के लिए। यह आत्मा की शुद्धि और ईश्वर से जुड़ाव का प्रतीक है।”
महाकुंभ की तैयारिया
प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन के लिए बड़े पैमाने पर जोरो शोरों से तैयारियाँ की गई हैं।
संगम किनारे 4000 हेक्टेयर ज़मीन को एक विशाल टेंट सिटी में बदला गया है, जहाँ लाखों करोड़ों श्रद्धालु एक महीने तक रुक सकेंगे। इस टेंट सिटी में 1,60,000 टेंट बनाए गए हैं, जिनमें स्विस कॉटेज जैसी आधुनिक सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई गई हैं।
इस बार इन स्विस कॉटेज में एसी और प्राइवेट टॉयलेट तक की सुविधा दी गई है।
टेंट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर श्रवण कपूर के अनुसार – “यह अपने आप में एक छोटा अपितु बहुत बड़ी घनी जनसंख्या वाला शहर है। हमने यहाँ बिजली, साफ पीने का पानी और 24 घंटे मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था की है। जिससे भक्तगण को कोई भी तकलीफ का सामना न करना पड़े।”
सुरक्षा इंतज़ाम
महाकुंभ में लोगो की तीर्थयात्रियों की भक्तगणों की सुरक्षा व साधु महात्माओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है सरकार की।
इस बार के महाकुंभ में 40,000 से अधिक पुलिसकर्मी और अर्धसैनिक बल तैनात किए गए हैं। साथ ही, इस विशाल जनसमूह की निगरानी लेटेस्ट AI- टेक्नोलॉजी के जरिए किया जा रहा है, हर जगह CC TV कैमरे लगाए गए है इसके अलावा लोगो की निगरानी सिस्टम और ड्रोन से की जा रही है।
इसके अलावा साथ ही साथ 40 नए पुल बनाए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को घाटों के आर पार पहुंचने में कोई ज्यादा दिक्कत का सामना न पहुँच पाए।
पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक अरविंद शर्मा ने कहा – “हमारी व्यवस्था पूरी तरह सुरक्षित, सुव्यवस्थित और सुनियोजित है ताकि हर व्यक्ति का अनुभव सुखद हो और किस भी भक्तगण को किसी तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े।”
रेलवे और परिवहन सुविधाएँ
भारतीय रेल ने श्रद्धालुओं के लिए 98 विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की है। जो। समय समय पर निम्न पर्वो व शाही स्नानों पर चलाई जाएंगी। इसके अलावा हज़ारों बसें भी चलाई जाएँगी जिससे यात्रियों को कष्ट का सामना न करना पड़े व उनका यात्रा का अनुभव सुखदायक हो।
पूरे शहर में हर एक कोने मेडिकल टीमें, इमरजेंसी यूनिट और वॉलंटियर्स तैनात हैं ताकि किसी भी स्थिति से तुरंत निपटा जा सके।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 एक ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन है पूरे भारत की दृष्टि से, जो भारत की आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक एकता व अखंडता का का प्रतीक बन रहा है। इस आयोजन की भव्यता और तैयारी इस तरह से की गई है कि इसे न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में एक अनोखा अनुभव बना रही है लोगो के लिए व श्रद्धालुओं के लिए भी।
आने वाले 45 दिनों तक श्रद्धालु यहाँ आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से एक अनोखा अनुभव प्राप्त करेंगे।