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©Pixabay Gaganyaan spacecraft image by ISRO for India's first human space mission |
भारत आए दिन अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लगातार विकास के नए-नए आयाम को छू रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र अपने नए-नए स्पेस एंड टेक्नोलॉजी की मदद से स्पेस के सेक्टर में लगातार ऐसे नए-नए कारनामो को कर रहा है जिसकी किसी ने कोई कल्पना भी नहीं की थी भारत आज स्पेस सेक्टर मे नई-नई ऊंचाइयों को छू रहा है, इसरो ने हाल ही मे एक साथ 104 सेटेलाइट का परीक्षण किया था, इसके बाद पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। ठीक कुछ साल इसके पहले भारत ने मार्स मिशन (Mission Mangal) को पूरा किया था, मार्श मिशन को पूरा करने के बाद, इसरो चांद के साउथ पोल पर अपना पहला कदम रखा और अब चाँद के साउथ पोल पर अपना कदम रखने के बाद अब इसरो ने एक अगला बड़ा कदम उठाने को ठान लिया है – वह है गगनयान मिशन।
गगन यान मिशन इसरो की तरफ से होने वाला भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा, जिसमें भारत के नागरिक यानी भारतीय अंतरिक्ष यात्री उपर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजे जाएंगे। इसरो ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। अगर ये कारनामा करने मे इसरो सफल रहा तो ये मिशन न केवल भारत के लिए बल्कि इसरो के लिए भी तकनीकी दृष्टि से एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी, यह मिशन भारत को स्पेस मे एक नया सुपर पावर बना देगी। इस मिशन से भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने आज तक मानव को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक भेजा है। भारतीय लोगो को इसरो के ऊपर बिल्कुल भरोसा है कि वह आने वाले कुछ समय में भारत के लोगों को स्पेस में जरूर पहुंचा देगा।
तो आइए समझते हैं कि यह मिशन भारत और साइंस की लिहाजे से कितना महत्वपूर्ण होने वाला है भारत देश के लिए और जानेंगे गगनयान मिशन के बारे मे, इसरो का अगला मिशन भारत के लिए इतना खास और एतिहासिक क्यू होने वाला है ।
गगनयान मिशन क्या है?
गगनयान मिशन भारत के स्पेस प्रोग्राम का एक।हिस्सा है, जो इसरो और भारत के लोगों के लिए एक नए युग की शुरुवात है, जहा पर इसरो के वज्ञानिक नए – नए ने कारनामों को छूएंगे। इस परियोजना का परमुख्य उद्देश्य तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को, ऊपर स्पेस मे पहुचाना है, इन यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है। इस मिशन का उद्देश्य चालक दल को तीन दिनों तक अंतरिक्ष में रखना है, उनके उपर और वहा के कन्डिशन अटमॉसपेयर को समझना और उन पर अध्यनन करना उसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना भी शामिल होगा।
यह मिशन इतना आसान नहीं होने वाला है जितना आपको लग रहा होगा। इस मिशन मे इसरो को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा ।
यह मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक महत्वपूर्ण और इसरो के लिए बहुमूल्य कदम है। यह विश्व के उन चुनिंदा देशों की मानव अंतरिक्ष उड़ान संचालित करने वाली टेक्नोलोजी की क्षमता को प्रदर्शित करेगा। आज तक यह कारनामा केवल रसिया, अमेरिका और चीन जैसे विकसित देश ही बस कर पाए है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना के सफल होने पर इससे भारत की वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान के मंच पर भारत की स्थिति भारत का मान सम्मान और प्रतिष्ठा को बढ़ने की उम्मीद है।
वैज्ञानिकों ने गगनयान को इस तरह से डिजाइन किया है की इसमे तीन लोगों को 400 किमी की ऊचाई पर लेकर जा सके, बिना किसी दिक्कत या परेशानी के। यह यान तीन चालक दल के साथ एक हफ्तों तक यानि 7 दिनों तक 400 किमी की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा।
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©Instagram ISRO scientists preparing for Gaganyaan human spaceflight mission |
भारतीय अंतरिक्ष यात्री कौन होंगे? और उनकी ट्रेनिंग कैसी हो रही है?
गगनयान मिशन के लिए इसरो ने भारतीय सेना के ही रहने वाले वायु सेना के कुछ अनुभवी पायलटों में से चार सबसे कुशल अफसरों को चुना है। इन चारों अफसरों को यानि स्पेस जाने वाले यात्री को अभी गगनयात्री के नाम से पहचाना जा रहा है, कहा जा रहा है, की अभी तक इनकी कोई पहचान नहीं की जा पायी है इसरो के सुरक्षा के कारणों से यह सब सामने नहीं आई है, हालांकि अभी तक इनका नाम गोपनीय ही रखा गया है, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, ये सभी ग्रुप कैप्टन रैंक के टेस्ट पायलट हैं, इन्होंने ऐसे खतरनाक मिशनों को सबके सब ने कई बार अंजाम दिया है और इन गगनयात्रियों के पास उच्च क्षमता के उड़ान का अनुभव भी है।
ये चारों यात्री अभी रूस के गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर मे अभी प्रशिक्षण ले रहे है। इन अंतरिक्ष यात्रियों की प्रारंभिक चयन प्रक्रिया इसरो और एयर फोर्स के मेडिकल व साइकोलॉजिकल टेस्ट्स के बाद पूरी की गई है। इनका चयन भी लिखित बौद्धिक v फिजिकल ट्रेनिंग के बाद ही की गई है, और अब इनकी इंटरनेशनल ट्रेनिग हो रही है, इनको वहां पर स्पेस मे कैसे रहा जाएगा कितनी ग्रैविटी को फेज करना होगा ये सब सिखाया जा रहा है। रूस के स्पेस एजेंसी में उन्हें अंतरिक्ष उड़ान मे आने वाली कठिनाई के बारे मे और जो समस्या फेज करेंगे जैसे जीरो ग्रैविटी, सेंट्रीफ्यूज टेस्ट, सर्जिकल ट्रेनिंग, स्पेससूट पहनना, और इमरजेंसी सिचुएशन्स मे क्या करना ये सब के बारे मे अवगत कराया जा रहा और उन्ही सबसे से संबंधित आने वाली परिस्थितियों में सामना करने की कुशल ट्रेनिंग से अवगत कार्य जा रहा है।
गगनयान मिशन के लिए इनमें से केवल तीन पायलट को चुना जाएगा और एक पायलट को इमर्जेंसी सिचुएशन के लिए रखा जाएगा। तीनों पायलट स्पेस के लिए एक साथ उड़ान भरेंगे और एक पायलेट को रिज़र्व में रखा जाएगा। देखिए दोस्तों यह न केवल भारत के लिए बल्कि समूचे एशिया महादीप के लिए एक महत्वपूर्ण और गौरवपूर्ण का क्षण होगा, अगर यह मिशन सुफल रहा तो यह मानव समाज के लिए एक अतिश्योक्ति का पल होगा और यह गगनयान मिशन ये भारतीय अंतरिक्ष में भारत का झंडा लहरायेगा।
गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण बातें!
- गगन यान को पृथ्वी की निचली कक्षा मे पहुचने मे तकरीबन 16 मिनट का समय लगने की उम्मीद है। यह भारत के तिरुवन्तपुरम मे विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से रवन्ना किया जाएगा। अंतरिक्ष यात्रियों को नारंगी स्पेससूट पहनाया जाएगा। आप शायद नहीं जानते होंगे की इस स्पेस सूट में एक एक ऑक्सीजन सिलेंडर रखा जा सकता है, जो यात्रियों को स्पेस मे जाने के बाद स्पेस से बाहर निकाल कर कुछ घंटे बीता सकेंगे। इसकी मदद से अंतरिक्ष यात्री एक घंटे तक अंतरिक्ष में सांस ले सकेंगे बल्कि बहुत सारी चीजों को एक्स्प्लोर भी कर सकेंगे जैसे माइक्रोग्राविटी का अनुभव इत्यादि चीजों का लुफ्त उठा सकेंगे।
- उसके बाद ये तीन अंतरिक्षीय यात्री अपने क्रू मॉडुआल के साथ रावण होंगे। इस मिशन मे उसे होने वाले रॉकेट दो है। जो पहला रॉकेट इस मिशन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उसका नाम जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV Mk III है । GSLV Mk III में मिशन के लिए आवश्यक पेलोड क्षमता है। यह अब तक इसरो की सबसे भारी भरकम रॉकेट मे से एक है।
- इस मिशन के कुल कार्यक्रम जो लागत निकाल कर सामने आ रही है वह तकरीबन 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहने की उम्मीद है।
- देखिए गगनयान मिशन भारत के दृष्टिकोण से इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहला स्वदेशी मिशन है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा। अगर यह सफल मिशन होता है, तो भारत चौथा देश होगा जिसने अंतरिक्ष में मानव भेजा है।
- यह मानवयुक्त मिशन हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेगा
- अंतरिक्ष यात्री सूर्योदय और सूर्यास्त देख सकेंगे, हर 24 घंटे में यात्री अंतरिक्ष से भारत को व समूचे पृथ्वी व सभी देशों नंगी आंखों से देख सकेंगे और सूक्ष्मगुरुत्व पर प्रयोग भी कर सकेंगे।
- अंतरिक्ष यान को वापसी की यात्रा में लगभग 36 घंटे का समय लगने का अनुमान है और सभी यात्री गुजरात तट के पास अरब सागर में उतरेंगे।
- चयनित चार अंतरिक्ष यात्री चिकित्सा और शारीरिक प्रशिक्षण के अलावा रूसी भाषा भी सीख रहे हैं, जिसे अंतरिक्ष संचार की महत्वपूर्ण भाषाओं में से एक माना जाता है।
- अंतरिक्ष यात्री अभ्यर्थियों को सेंट्रीफ्यूज और हाइपरबेरिक चैंबर (दबावयुक्त कक्ष) में सिमुलेशन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, ताकि उन्हें अंतरिक्ष उड़ान के दौरान जी-फोर्स, हाइपोक्सिया और अत्यधिक दबाव में गिरावट जैसी स्थितियों के लिए तैयार किया जा सके।
- आप जानते ही होगे कि गुरुत्वाकर्षण में परिवर्तन से और दबाव के प्रेशर में रक्तचाप में उतार-चढ़ाव अधिक मात्रा में हो सकता है, खास तौर पर धरती पर वापस आने या उतरने के दौरान, और कभी-कभी अंतरिक्ष यात्री को बेहोशी तक भी देखने को मिलते। इन सबसे बैचेन की ट्रेनिंग उनकी दिया जा रहा है। अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भारहीनता का अनुभव करते समय मोशन सिकनेस का भी सामना करना पड़ सकता है।
- रूस में प्रशिक्षण एक वर्ष का होगा जिसके बाद अंतरिक्ष यात्रियों को भारत में मॉड्यूल-विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त होगा।
- सभी अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार भारतीय वायु सेना के पायलट हैं। उन्हें वायु सेना द्वारा लगभग 25 पायलटों में से चुना गया था।
गगनयान मिशन के उद्देश्य
गगनयान मिशन के उद्देश्य मानव अंतरिक्ष के लिए कई अनुषणधान के पहलुओं पर निर्भर हैं। इसके मुख्य लक्ष्य मानव सभ्यता को लाभ पहुचना है, इस मिशन से भारत के पास न वो केवल टेक्नॉलजी होगी बल्कि वह दुनिया के जो गरीब व छोटे मुल्क के देश है उनको भी स्पेस मे पहुच सकता है, इसके साथ साथ इस मिशन के उद्देश्य इस प्रकार हैं:
भारतीय अपने लोगों को अंतरिक्ष में भेजने की टेक्नॉलजी चाहता है
इस मिशन का सबसे पहला लक्ष्य सकुसहल तीन अंतरिक्ष यात्रियों पृथ्वी की निचली कच तक को तीन दिनों तक के लिए स्पेस मे भेजना है। इससे भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान मे एक असीम क्षमता की प्राप्ति हो जाएंगी। इस मिशन की सफलता के बाद हो सकता हा की भारत अपना खुद का एक स्पेस स्टेशन बनाने की सोचे, और इसके साथ साथ भारत पृथ्वी के बाहर चल रही वायुमंडल से भरे पड़े विज्ञान को पर रिसर्च व भविष्य के मिशनों के लिए तैयारी भी तो कर सकता है।
भारत मानव की अंतरिक्ष उड़ान प्रणालियाँ विकसित करना चाहता है अपने ही घर में
गगनयान मिशन का एक और प्रमुख मिशन मानव-रेटेड लॉन्च वाहनों, क्रू मॉड्यूल और री-एंट्री तकनीक की भारत के अंदर ही डीवलोप करने के लिए भी डिजाइन किया गया है और उसी से रिलेटेड जो परीक्षण है उस पर भारत केंद्रित है। पूरे मिशन के दौरान यानि उड़ान से लेकर वापस पृथ्वी की कक्षा तक अगर सफल रहा तो अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भारत को वो टेक्नॉलजी प्रदान कर देंगी।
जीवन-सहायक तंत्र स्थापित करें
इसरो एक उन्नत जीवन समर्थन प्रणाली विकसित कर रहा है जो अंतरिक्ष यात्रियों को ऑक्सीजन, तापमान नियंत्रण और दबाव विनियमन जैसी आवश्यक ज़रूरतें प्रदान करेगी। अंतरिक्ष की परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए यह प्रणाली महत्वपूर्ण है।
मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन में भारत की विशेषज्ञता को आगे बढ़ाना
गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission in Hindi) इसरो को मानव अंतरिक्ष उड़ान में कैसे अंतरिक्ष यात्रियों को जो भेजने का अनुभव है वो सिखाएंग हमारे वैज्ञानिकों को देगा, यह भविष्य में भारत के लिए गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण और पृथ्वी की कक्षा से परे लंबी अवधि के मानव मिशनों के लिए मिल का पथर साबित करेंगा।
इंटरनेशनल स्पेस प्रोग्राम मे सहयोग बढ़ाना
भारत अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान के लिए बाहर के देशों जैसे रोस्कोस्मोस और नासा जैसी इंटरनेशनल स्पेस एजेंसियों के साथ काम कर रहा है। उनके साथ साथ नई नई टेक्नोलॉजी सिख रहा है। यह कॉपरेशन इसरो को अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को बेहतर बनाने में मदद करेगा आगे के भविष्य मे इसके साथ आने वाली समस्या मे भारत उन सभी देशों के साथ मिलकर समस्या को सॉल्व भी कर सकता है।
गगनयान से भारत को क्या लाभ होंगे?
गगनयान मिशन केवल एक भारत और इसरो के लिए तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत के लिए साइंस, रणनीति, तकनीक और ग्लोबल सुपरपावर के एरिया में भी अनेक लाभ लेकर आने वाला परियोजना है।
वैज्ञानिक लाभ की बात करें तो इस मिशन से भारत को अनेक प्रकार के साइंटिफिक प्रयोग और उनके प्रॉब्लेम्स का सामन करना पड़ेगा जैसे भारत को माइक्रोग्रैविटी में विभिन्न प्रयोग करने का अवसर मिलेगा, उनके आने वाली प्रॉब्लेम को भी फेज करना पड़ेगा। इस माइक्रोग्राविटी की वजह से साइंटिस्ट अंतरिक्ष चिकित्सा, जैवविज्ञान, और भौतिकी विज्ञान जैसी कई शाखाओं में नई खोजें हो सकेंगी व कर सकेंगे ।
रणनीतिक दृष्टिकोण से, यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की अग्रिम कतार में खड़ा कर देगा जो अब तक के 228 देशों मे जिन्होंने मानव अंतरिक्ष मिशन सफलतापूर्वक किए हैं। इससे भारत की सुरक्षा और स्पेस डिफेंस क्षमताओं में भी अमूल चूल परिवर्तन होगा इससे भारत की स्पेस मे आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी।
तकनीकी रूप से, गगनयान मिशन इसरो को मानव जीवन से जुड़े उच्चतम स्तर की तकनीक विकसित करने में मदद करेगा, जैसे कि लाइफ सपोर्ट सिस्टम, क्रू एस्केप तकनीक, एडवांस नेविगेशन और मिशन कंट्रोल सिस्टम इत्यादि चीजे शामिल है इनमें।
आर्थिक रूप से, इसरो के लिए यह मिशन भविष्य में एक बहुत बड़ा और सुनहरा अवसर पैदा कर सकता है, जो की भारत जैसे उभरते देशों के लिए एक अदभूत बड़ी बात है क्योंकि भारत मे मानव स्पेसफ्लाइट तकनीक विकसित होने के बाद भारत अन्य देशों के यात्रियों को भी भेजने का ठेका ले सकता है, जिससे विदेशी मुद्रा और राजस्व और रोजगार दोनों बढ़ेंगे भारत के।
सबसे बड़ी बात – भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को इससे बड़ा बल मिलेगा। भारत को एक उभरती हुई वैज्ञानिक और स्पेस सुपरपावर के रूप में दुनिया में और अधिक गंभीरता से देखा जाएगा। इससे भारत की लोहा सभी देशों में गूंजेगा।
इसरो का अब तक का सफर और गगनयान की शुरुआत
इसरो (ISRO) यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की शुरुआत 1969 में एक छोटे से मिशन से हुई थी। बहुत कम ही लोग जानते होगे कि एक समय था जब इसरो अपने रॉकेट के पुर्जे को साइकिल और बैलगाड़ी पर ढोया करता था, और आज इसरो मंगल तक भारत का झंडा लहरा चुका है। इसरो सारी दुनिया को चौका दिया था जब पहली ही प्रयास में मंगल ग्रह तक पहुंचा था। इसरो ने अपने पहले उपग्रह आर्यभट्ट से लेकर हालिया मिशनों जैसे चंद्रयान-3 और आदित्य-L1 तक, इसरो ने दुनिया को दिखा दिया कि सीमित बजट में भी उच्चतम गुणवत्ता से उच्च टेक्नोलॉजी से और सटीकता से सब कुछ संभव हो सकता है।
गगनयान मिशन इसरो की इसी अद्वितीय यात्रा में भारत के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है व एक मिल के पथर भी है। यह भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा, जो देश को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में लाकर भारत को खड़ा कर देगा। गगनयान ना सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष स्वतंत्रता और तकनीकी आत्मनिर्भरता की भी पहचान है। इस मिशन से भारत यह साबित करेगा कि वह अब न केवल उपग्रह लॉन्च करने वाला देश है, बल्कि इंसानों को सुरक्षित अंतरिक्ष में भेजने और वापस लाने की भी क्षमता और टेक्नोलॉजी भी अपने पास रखता है।
गगनयान के बाद: भारत का अंतरिक्ष में भविष्य क्या है?
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©Pixabay ISRO Gaganyaan mission logo showing India's space ambition |
सबसे पहले, इस मिशन की सफलत के बाद इसरो का लक्ष्य है भारतीय स्पेस स्टेशन बनाना, जिसकी योजना 2035 तक पूरी करने की है। यह स्टेशन वैज्ञानिक शोध, मेडिकल ट्रायल्स और अंतरिक्ष प्रशिक्षण के लिए उपयोग में लाया जाएगा।
दूसरा, इसरो भविष्य में और भी मानव मिशनों की योजना बना रहा है, जिसमें चंद्रमा और मंगल की ओर मानव भेजना भी शामिल है। हाल ही में इसरो ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कर के पूरी दुनिया को दिखाया है जो इस मिशन ने इसरो का आत्मविश्वास को भी जगाया है, वह इन सपनों को और सशक्त करता है।
इसके साथ ही, निजी कंपनियों का स्पेस क्षेत्र में प्रवेश भी भारत के लिए एक क्रांतिकारी बदला©Pixabay व होगा। अब भारत में स्टार्टअप्स और निजी संस्थाएं सैटेलाइट लॉन्चिंग, अंतरिक्ष अनुसंधान और स्पेस टूरिज़्म पर बड़े पैमाने पर काम होगा। ISRO इन सभी निजी संस्थानों का इनका मार्गदर्शन कर रही है और इनके साथ मिलकर भारत के लिए एक मजबूत स्पेस इकोसिस्टम बना रही है।
भविष्य में, भारत अंतरिक्ष में एक ग्लोबल हब बन सकता है—जहाँ तकनीक, प्रतिभा और आत्मनिर्भरता का अद्वितीय संगम होगा।