इंटरनेट का परिचय (Introduction Of Internet):
क्या अपने कभी सोचा है जो आप इंटरनेट प्रयोग करते है वो क्या है, क्या अपने कभी ध्यान दिया है कि इंटरनेट कैसे काम करता है अपने फोन में। जब भी आप अपनी जेब से मोबाइल निकालते हैं, यू ही कुछ बटन दबाते हैं और चंद कुछ ही सेकंड में आपके सामने पूरी दुनिया की सारी जानकारी आपके आंखों के सामने होती। आप खुद ही सोचिए आपके घर से दूर हजारों किलोमीटर दूर पर होने वाली घटना चंद सेकेंडों में आपके अपने मोबाइल पर यू ही मिल जा रही है। लाखों प्रकार की जानकारियां आपके लिए बस कुछ सेकेंडों में मिल जा रही है जिसके लिए आपको ढेर सारी किताबों का इंतज़ार करना होता था, जानकारी के लिए आपको अख़बार की सुर्खियों पर निर्भर होना पड़ता था, किसी का जानकारी या खबर के लिए अब आपको डाक से चिट्ठी आने की प्रतीक्षा नहीं करना पड़ता। पर ये कैसे संभव हो पाया यूंही बस 20 शताब्दी के अंत तक। सोचिए जरा आप!
यही है इंटरनेट की असली ताक़त दोस्तो—एक ऐसा जाल जिसने इंसानियत को सचमुच एक "वैश्विक गाँव" में बदल दिया है। यानी सभी देशों के लोगों को जानकारियों को संदेशों को एक गांव में सीमित कर दिया है। आज इंटरनेट की वजह से आपको चंद सेकेंडों में हर स्थिति का अंदाजा लग जाता है चाहे जितने भी दूर हो संदेश जानकारी खबर यूंही चुटकी बजते ही मिल जाता है। इंटरनेट की मदद से हम दुनिया भर के लोगों से जुड़ सकते हैं, तुरंत जानकारी हासिल कर सकते हैं और तरह-तरह के काम कर सकते हैं। आज इंटरनेट हमारी सुबह से रात तक हर पल के साथ से जुड़ा है—चाहे वह ऑनलाइन बैंकिंग हो, WhatsApp पर चैट हो, या Amazon से खरीदारी, या फिर Social Media पर मनोरंज करना सब कुछ चीजें इंटरनेट से जुड़ा हुआ है।
तो क्या आप इंटरनेट के बारे में जानना चाहते है कि इसकी शुरुवात कैसे हुई, यह कैसे काम करता है? इसको बनाया कैसे गया। चलिए जानते है आज इंटरनेट के बारे।
इंटरनेट की शुरुवात ( History Of Internet )
जैसे-जैसे इंटरनेट का विस्तार हुआ, वैसे वैसे वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) का जन्म हुआ, जिसने जानकारी को लोगो के पहुँच तक बना दिया। आपको जानकार हैरानी होगी कि आज पाच अरब से भी अधिक लोग वेबसाइट ब्राउज़ करते हैं, एक-दूसरे से जुड़ते हैं और अपने विचार एक दूसरे से साझा करते हैं। इस तरह इंटरनेट सचमुच एक वैश्विक गाँव बन गया है।
1974 में TCP/IP (Transmission Control Protocol/Internet Protocol) विकसित किया गया, जिसने इंटरनेट की नींव रखी। इस प्रोटोकॉल ने यह योजना बनाया कि अलग-अलग कंपनियों और निर्माताओं के उपकरण आपस में आसानी से संवाद कर सकेंगे। 1970 के दशक के अंत तक तो विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों ने इसका उपयोग शुरू भी कर दिया था। पर अभी लोगो के लिए नहीं खोला गया था।
1990 के शुरुआती दौर में इंटरनेट काफी तेजी के साथ से बढ़ा। NSFNET (जो अमेरिका के सुपरकंप्यूटरों को जोड़ता था) और ANSNET जैसी नई कमर्शियल नेटवर्क्स सामने आईं। इसी दौरान इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISPs) भी बाजारों में सामने खुल के आए और 1995 तक इंटरनेट खोल दिया गया और यह आम जनता की ज़रूरत बन गया।
1992 में Internet Society की स्थापना की गई थी जिसका उद्देश्य इंटरनेट मानकों (standards) को विकसित करना था। और इसे एक खुला वैश्विक संसाधन बनाए रखना था। आज भी इंटरनेट किसी एक संस्था का मालिक नहीं है, लेकिन कुछ संस्थाएं है जो इसकी देखभाल करती है। IETF (Internet Engineering Task Force) और IAB (Internet Architecture Board) जैसी संस्थाएँ इसके विकास और संचालन में आज भी अहम भूमिका निभा रही है।
इंटरनेट की अवधारणा (Concept of the Internet):
मूल रूप से इंटरनेट आपस में जुड़े कुछ नेटवर्क्स का समूह होता है, जो कुछ प्रोटोकॉल्स (protocols) का पालन करके एक दूसरे से संवाद यानि बातचीत करते हैं। हर एक नेटवर्क में कंप्यूटर, सर्वर और राउटर जैसे उपकरण लगे होते हैं, जो डेटा को पैकेट्स में भेजते और रिसीव करते हैं।
जब कोई यूज़र किसी वेबसाइट को खोलता है या ईमेल भेजता है, तो उसका डिवाइस सर्वर को अनुरोध (request) भेजता है। और सर्वर उस अनुरोध को प्रोसेस करके उस उपयोगकर्ता के लिए आवश्यक जानकारी या सामग्री वापस प्रदान करता है या भेजता है।
इंटरनेट का आधार client-server model के रूप में काम।करता है। क्लाइंट यानी यूज़र डिवाइस सर्वर से डेटा माँगता है और सर्वर, जो शक्तिशाली कंप्यूटर होते हैं, उसे पूरा करता है। जैसे कि अपने Google से कुछ मांगा तो गूगल अपने सर्वर पर जाकर आपको वही सामग्री वापस दिखा देता है आपके स्क्रीन पर या कंप्यूटर पर। यही प्रक्रिया इंटरनेट पर होने वाली लगभग हर गतिविधि की रीढ़ की हड्डी होती है।
हर वेबसाइट का एक IP address होता है, जिससे उसे नेटवर्क पर खोजा जाता है। लेकिन लोगों के लिए इसे आसान बनाने के लिए DNS सिस्टम (Domain Name System) का निर्माण हुआ, जो डोमेन नाम (जैसे www.google.com) को IP address में बदल देने का काम करता है।
इंटरनेट का मालिक कौन है? (Who Owns the Internet?)
इंटरनेट एक Decentralized Organization सिस्टम है। इसका कोई एक मालिक नहीं है। इसकी संरचना ऐसी है कि इसको अलग-अलग organization द्वारा डिफॉल्ट रूप से मैनेज की जाता है—जैसे कंटेंट प्रदाता और डाटा सेंटर का काम ISPs करता है। इंटरनेट के तकनीकी मानक तय करने का जो काम है उसको IETF और IAB जैसी संस्थाए करती हैं।
फिर भी इंटरनेट एक सार्वजनिक संसाधन ही है। कोई भी व्यक्ति, जिसके पास इंटरनेट कनेक्शन और डिवाइस है वो इसका उपयोग कर सकता है। बिना किसी रोक टोक के। यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
इंटरनेट की मूल संरचना (Basics of Internet Architecture):
इंटरनेट की आर्किटेक्चर अलग-अलग परतों (layers) में बंटी हुई होकर काम करती है इसमें कई सारे मॉडल है जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है। और सब का काम अलग अलग है। सबसे प्रसिद्ध जो मॉडल है वो है OSI (Open Systems Interconnection) है, इस सिस्टम में सात लेयर होती हैं—
1. Physical Layer –
डिवाइसों के बीच भौतिक कनेक्शन जैसे फाइबर ऑप्टिक केबल या वायरलेस सिग्नल के साथ होना। ये फिजिकल लेयर में आती है।
2. Data Link Layer –
ये लेयर नेटवर्क पर होने वाले डेटा के विश्वसनीय आदान-प्रदान को संभालती है।
3. Network Layer –
इस लेयर का काम IP address की मदद से किया जाता है। यह लेयर डेटा पैकेट को सही जगह तक पहुंचाने का काम करती है।
4. Transport Layer –
इनका काम यह सुनिश्चित करने का है कि डेटा बिना त्रुटि (error-free) एंड टू एंड के साथ पहुँचे।
5. Session Layer –
यह लेयर का काम यूज़र डिवाइस और सर्वर के बीच सत्र (session) को मैनेज करने का करती है।
6. Presentation Layer –
जैसे नाम से ही पता चलता है यह लेयर डेटा को यूज़र के लिए पठनीय स्वरूप (readable format) यानी पढ़ने के योग्य बनाती व उस स्वरूप में बदलती है।
7. Application Layer –
यह सीधे सॉफ़्टवेयर ऐप्स जैसे ब्राउज़र या ईमेल से जुड़ती है। इनका उसे बहुत अधिक मात्रा में किया जा रहा है आज के समय में।
इंटरनेट peer-to-peer networks और client-server networks mode दोनों पर run करता है। अधिकांश काम हमारा जो है वो client-server मॉडल पर किया जाता है, जिससे हमें तेज़ और भरोसेमंद सेवा मिलती है।
इसी आर्किटेक्चर की स्केलेबिलिटी (scalability) के कारण आज इंटरनेट ने कई सारे रूप ले लिया है जैसे इंटरनेट ने आज क्लाउड कंप्यूटिंग, IoT और वर्चुअल रियलिटी जैसी नई तकनीकों को अपना लिया है। ये इन्हीं के रूप है जो भविष्य के टेक्नोलॉजी के रूप में है।
इंटरनेट का वैश्विक प्रभाव (The Global Impact of the Internet):
सोचिए आप एक ऐसा भी समय था, जब संदेश एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में हफ्तों महीनों का समय लग जाया करता था, और कारोबार केवल स्थानीय स्तर पर ही संभव था वैश्विक स्तर पर नहीं। आज इंटरनेट ने इन सभी सीमाओं को पार कर लिया है इन सब सीमाओं को तोड़ कर लोगो को जोड़ दिया है। अब दुनिया सचमुच में केवल एक क्लिक पर उपलब्ध है।
संवाद (communication) के मामले में
पहले लोग चिट्ठियों या महंगे टेलीफोन कॉल्स व PCO पर निर्भर थे। अब WhatsApp जैसे मैसेजिंग ऐप्स और Zoom जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टूल्स की मदद से हम लाइव रीयल-टाइम में दुनियाभर के लोगों से एक साथ जुड़ सकते हैं। उनसे बात कर सकते है बिना किसी समस्या पैदा हुए।
शिक्षा के क्षेत्र में
शिक्षा के एरिया में तो इंटरनेट ने क्रांति ला दी है। ऑनलाइन कोर्सेज़ और डिजिटल लाइब्रेरी ने ज्ञान को हर किसी तक पहुचा दिया है। अब कोई भी व्यक्ति घर बैठे अपनी संपूर्ण पढ़ाई और अपने कौशल को निखार सकता है। नए नए चीजों को एक्सपेरिमेंट को सिख सकता है।
आर्थिक दृष्टि से इंटरनेट ने ई-कॉमर्स के ज़रिए पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को बदल दिया है। Amazon और Alibaba जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने छोटे मोटे से लेकर बड़े बड़े व्यापारियों को Global market तैयार कर दिया है। आज छोटे व्यवसाय भी ऑनलाइन मौजूदगी से बड़ी सफलता पा रहे है।
इंटरनेट का भविष्य: नई तकनीकें और चुनौतिया (The Future of the Internet: New Technologies and Challenges):
Internet of Things (IoT):
स्मार्ट होम गैजेट्स और पहनने योग्य तकनीक (wearables) वाले चीज इंटरनेट से जुड़े रहेंगे हमेशा और डेटा साझा करते रहेंगे। इससे लाइफस्टाइल लोगो की चेंज होगी व जीवन आसान होगा, लेकिन साथ साथ प्राइवेसी और सुरक्षा की चिंताए भी बढ़ेंगी ये देखने वाली बात है।
5G & 6G Technology:
5G भारत जैसे देशों में शुरुवात के चरण में अभी है। यह भी ग्लोबल नेटवर्क नहीं बन पाया है। 5G & 6G technology अत्यधिक तेज़ इंटरनेट स्पीड लाएंगे मार्केट में जिससे ऑनलाइन गेम्स और स्वचालित वाहन (autonomous vehicles) और दूरस्थ सर्जरी और वर्चुअल रियल्टी जैसी चीजें संभव हो जाएंगी। लेकिन इसके लिए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा प्रबंध की आवश्यकता पड़ेगी।
Artificial Intelligence (AI):
यह इंटरनेट पर अनुभव को व्यक्तिगत (personalized) बनाएगा, Chat Got Gemini और Meta जैसे टेक्नोलॉजी आज इसके जीता जगता उदाहरण है साथ ही साथ यह साइबर सुरक्षा को बेहतर करेगा।
Quantum Computing:
यह असंभव-सी लगने वाली समस्याओं को कुछ ही पलों में हल कर देगा, बड़े से बड़े कैलकुलेशन को बड़े से बड़े जटिल चीजों को सिम्पलिफाई कर सकता है। लेकिन साथ ही यह पारंपरिक एन्क्रिप्शन को तोड़कर साइबर सुरक्षा के लिए खतरा भी पैदा कर सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion):
इंटरनेट का प्रभाव पूरी दुनिया पर गहरा है। जैसे-जैसे नई तकनीकें सामने आ रही हैं, इसका असर और भी व्यापक और मनोरंजकारी होता जा रहा है। लेकिन इन प्रगतियों के साथ चुनौतिया का भी विस्तार हो रहा है व बढ़ भी रही है—जैसे साइबर सुरक्षा, प्राइवेसी और नियमन (regulation) का उल्लंघन होना etc.
भविष्य का इंटरनेट तभी सही मायनों में मानवता के लिए वरदान साबित होगा, जब हम इसे सुरक्षित, पारदर्शी और संतुलित बनाए रखने में सफल रहेंगे तब। देखते है तब तक इंटरनेट का भविष्य क्या होता है?