वेब सीरीज़ बनाम बॉलीवुड
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From Pixabay (वेब सीरीज बनाम बॉलीवुड) |
आज के टाइम पर, वेब सीरीज़ ने एक नई लहर की तरह पूरे सिनेमा जगत में दस्तक दी है— जिसने न केवल हमारे एंटरटेनमेंट को बदला, बल्कि लोगों की सोच और पसंद को भी एक नया प्रकार का आकार दे दिया है। आज के जो दर्शक है वो सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि फिल्मों में गहराई चाहते हैं फिल्मों के साथ जुड़ना चाहते है— और वेब सीरीज़ ने भारतीय सिनेमा को वही दिया है।
भारत की फिल्म इंडस्ट्री — जिसे हम आम भाषा में ‘बॉलीवुड’ कहते हैं — वह कभी पूरी दुनिया में अपने नए नए फिल्मों के पहचान के लिए जानी जाती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों से वही बॉलीवुड आज के टाइम पर बहुत बड़े सवालों के घेरे में है। जो कभी इंडस्ट्री एक समय पर लाखों – करोड़ों दिलों पर राज करती थी, वही Bollywood आज अपनी ही पहचान बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। Bollywood वास्तव में आज जूझ रहा है अपना अस्तित्व को बचाने के लिए।
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दूसरी ओर, Web Series— जैसे Panchayat, Kota Factory, Aspirants, Scam 1992, और Mirzapur न जाने कितनी ऐसी और वेब सीरीजो ने भारतीय दर्शकों के दिलों में एक अलग खास जगह बना ली है। ये सब webseries लोगो के दिलों पर छा चुकी है। उनके सर पर चढ़ कर ये बोल रही है। हाल ही में लोगों के बीच पंचायत 2 का क्रेज देखा गया है। जिस तरह से पंचायत सीरीज का बुखार लोगो पर चढ़ा था उससे यही लग रहा है कि ये सब लोग अब सिनेमाघर नहीं, बल्कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ‘रियल’ कहानियाँ देखना पसंद कर रहे हैं। लोगों को फिल्में।कम और ओटीटी प्लेटफॉर्म की कहानियां ज्यादा पसंद आ रही है।
तो अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि – आख़िर ऐसा क्या हुआ कि बॉलीवुड पीछे छूट गया और वेब सीरीज़ ने बाज़ी मार ली? बॉलीवुड ऐसा क्या गलती कर रहा है जो उसे कुएं में ढकेल रहा है?
आइए इस विषय पर एक गहराई से नज़र डालते हैं।
बॉलीवुड की गिरती कहानी और वेब सीरीज़ की असल और वास्तविक कहानियां।
आज के समय में बॉलीवुड का जो सबसे बड़ा संकट है — वो है कहानी को लेकर। बॉलीवुड की फिल्मों की स्टोरी में कहानी का खो जाना। मतलब कहानी का कुछ भी पता न होना। बार-बार वही रिपीटेड घिसा-पिटा फॉर्मूला वही बेहूदा डायलॉग: एक हीरो, एक ग्लैमर से भरा विलन, कुछ आइटम सॉन्ग और एक्शन बस बन गई फिल्म — और यही बन गई आज की बॉलीवुड की रेसिपी। नतीजा सामने आपके?इसके उलट वेब सीरीज़ ने दर्शकों को एक नई उम्मीद दे दी है — वेबसरीज की जो कहानियाँ है वो लोगों के दिल को छूती हैं, जिनमें भावनाओं की गहराई है, लोगो से मिलता जुलता कंटेंट है, जिसमें समाज की सच्चाई है जो समाज को निडरता से दिखाती हैं। उनकी आईना को पेश करती है।
आप Panchayat webseries ही उठा लीजिए Panchayat Webseries ने गांवों की ज़मीनी राजनीति और साधारण लोगों की ज़िंदगी को बहुत महीन और बेहद खूबसूरती से लोगो के बीच में पेश किया है। इस वेबसीरीज को देखने पर ऐसा लगता है मानो कि ये हमारी और आपके ही गांव की कहानी चल रही हो। ऐसा लगता ही नहीं की ये कोई मूवी चल रही है, ऐसा लग रहा है ये हमारी ही कहानी है हमारी ही स्टोरी है। ऐसा ही Kota Factory Webseries में हुआ है, इस वाले वेबसीरीज में छात्रों के भीतर के डर, उम्मीद और संघर्ष को बहुत बारीकियों के साथ बखूबी उकेरा गया है। ठीक Aspirants ने IAS बनने की तैयारी के पीछे छिपी जो विद्यार्थियों की जद्दोजहद को पर्दे पर उतारा है, तो आप Scam 1992 को देख लीजिए जिसने इतिहास को जीवंत बना दिया एक दम यादगार बना दिया है — वो भी बिना किसी ग्लैमर ओवरडोज़ मनी और Heavy VFX या बड़े बड़े सितारों या ग्लैमर के। और इन सब वेबसीरीज की अपार सफलता के बाद मानो ऐसा लगता है कि ये सब भी पॉसिबॉली है। बस एक अच्छी सी एक्टिंग और दमदार कहानी जो लोगो को जोड़े रहे बस।
इन सीरीज़ ने न सिर्फ दर्शकों को जोड़े रखा, बल्कि सभी पॉइंट्स में बाज़ी मारी —
- सभी कहानी में गहराई है like (Panchayat, Aspirants),
- हर एक किरदारों की अपनी एक सच्चाई है जैसे (Kota Factory, Patal Lok),
- सब में सादगी की ताकत है, कुछ भी फेक नहीं है (Panchayat),
- मिडल क्लास की पकड़ है आपसे और हमसे ही कहानी उठाई गई है (Aspirants, Tabbar),
- टैलेंट की जीत है कद्र की पहचान (Scam 1992, Trial By Fire),
- बिना प्रमोशन की लोकप्रियता, सबसे बड़ी बात है जो हमें सिखाती है कि अगर आपका काम बढ़िया है तो रिस्पॉन्स भी तगड़ा मिलेगा लोगो से इसका जीता जगता उद्धरण है (Jeetu Bhaiyaवाले TVF शोज़),
- ओटीटी पर अपनी जगह बनाई है (Mirzapur, Delhi Crime),
- और नए विषयों के साथ प्रयोग कर रहे है ये सभी (The Family Man, Undekhi)।
यही वजह है कि आज लोग फिल्मों से ज्यादा वेब सीरीज़ का इंतज़ार कर हैं उनके नए नए सीजन के लिए उतावले हो रहे है — क्योंकि यहाँ उन्हें दिखावा नहीं मार दहाड़ा नहीं बस स्टोरी और एक्टिंग का लाजवाब समर्पण मिलता है।
ओवरएक्टिंग और बेमेल कास्टिंग Vs नैचुरल परफॉर्मेंस
ओवरएक्टिंग और नेचुरल परफॉर्मेंस बॉलीवुड की एक और बहुत बड़ी समस्या है — खराब कास्टिंग और ओवरएक्टिंग = Flop Film No Revenue. उदाहरण: Housefull 4, Baaghi 3, Heropanti 2, Student of the Year 2 जैसी फिल्मों में एक्टिंग के नाम पर सिर्फ चेहरे और स्टाइल दिखाए जाते हैं, असली अभिनय गायब होता है। वही नेपोटिजिम किड्स कोई भी नए एक्टर की तलाश ही नहीं जिन्हें वास्तव में एक्स्क्रीटिंग आती भी हो। बस नकली हँसी, ज़बरदस्ती का इमोशन और ग्लैमर से भरपूर चेहरे दिखते हैं, लेकिन दिल से लोगो के साथ उनके फीलिंग के साथ जुड़ाव नहीं बना पाते।
इसके उलट में वेब सीरीज़ में हर किरदार ऐसा लगता है मानो वो आपके ही मोहल्ले का इंसान हो — असली, ईमानदार और जमीन से जुड़ा हुआ किरदार हो। Jeetu Bhaiya ने कोचिंग सेंटर के एक सुलझे हुए गाइड की भूमिका इस कदर निभाई कि वो आज हर छात्र के दिल में बस चुके हैं। Abhilash (Naveen Kasturia) की आँखों में सपना, तनाव, और संघर्ष का जो मेल दिखता है ऐसा लगता है वो हमारा सपना हो वो हमारा अपना संघर्ष लगता है स्टूडेंट लाइफ की, ऐसा लगता है ये सीरीज हर UPSC छात्र को अपनी कहानी लगने लगा। Ganesh Gaitonde (Nawazuddin Siddiqui) ने एक गैंगस्टर के किरदार को इतनी गहराई और पागलपन से निभाया कि उसने हिंदी कंटेंट को ग्लोबल पहचान दिला दी।
यही नहीं, Divyenndu का "Munna Bhaiya" बन जाना या Neeraj Kabi का पुलिस अफसर के किरदार में संयमित अभिनय — ये सब मिसाल हैं कि सच्चा अभिनय कैसे किया जाता है एक अच्छी एक्टिंग दर्शकों का कैसे दिल जीतता है। ये एक्टर्स चीखते नहीं, बल्कि किरदार के भीतर जीते हैं — और यही वजह है कि इनकी एक्टिंग आज कल्ट क्लासिक बन चुकी है हिंदी वेबसरीज सिनेमा में।
करोड़ों का VFX बनाम साधारण सी फिल्में
बॉलीवुड में अब VFX पर ज़ोर दिया जाता है एक्टिंग पर नहीं बड़े बड़े महंगे महंगे vfx के सेट्स।विशाल सेट, विदेशी लोकेशन और महंगे विजुअल इफेक्ट्स पर करोड़ों रुपए पैसे फूंक दिए जाते हैं। लेकिन फिर भी Adipurush जिसकी लागत 600cr जैसी फिल्में साबित करती हैं कि पैसा सबकुछ नहीं होता एक्टिंग भी होती। ठीक इसके विपरीत रामानंद सागर की नेचुरल साधारण सा बिना की बड़े vfx केवल साधारण सी एक्टिंग ने ऐसा रामायण बना दिया जिसे लोगों के दिलों से कोई छीन ही नहीं सकता, नतीजा आपके।सामने है ? दर्शकों की आलोचना ट्रोलिंग इतनी हुई कि डायरेक्ट और प्रोड्यूसर को माफी मांगना पड़ा और सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग हसी का पात्र बन गई।
इसके उलट वेब सीरीज़ ने ये सिखाया कि सादगी भी सौंदर्य होती है। Panchayat जैसी सीरीज़ बिना किसी चमक-दमक के, सिर्फ कहानी और अभिनय के बल पर लोगों के दिलों में उतर गई। वही हाल फिलहाल Kota Factory, Tabbar और Trial By Fire का भी रहा — छोटे बजट, सीमित लोकेशन, लेकिन फिर भी जबरदस्त लोगो से इमोशनल कनेक्शन और रियलिज्म से भरपूर था।
इन सीरीज़ ने साबित किया कि दर्शकों को आज भव्यता नहीं, सच्चाई चाहिए। एक अच्छा सीन VFX से नहीं, भावनाओं से बनता है उनके इमोशन से बनता है। — और ये सभी वेब सीरीज़ ने यह बात बार-बार साबित कर चुकी है। और यही वजह है कि जहाँ करोड़ों के बजट वाली फिल्में फ्लॉप हो रही हैं, वहीं लाखों में बनी webseries करोड़ों व्यूज़ और वाहवाही बटोर रही हैं।
बॉलीवुड की Disconnection और वेब सीरीज़ का Ground Reality Connection
आज की बॉलीवुड फिल्में ज़मीन से कट चुकी हैं। ये सब पुरानी फिल्मों की तरह जमीन से अपने संस्कृति से जुड़ी फिल्मों को परोसना ही नहीं आता । वो आम आदमी की कहानी नहीं दिखा पा रही है और लेटेस्ट फिल्मों से मालूम पड़ता है वो दिखाना भी नहीं चाहते है बस मनगढ़ंत कहानियां। डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स अब सिर्फ ग्लैमर, पार्टी, बेमतलब की लव स्टोरी और विदेशों में शूटिंग के पीछे बस भाग रहे हैं, उनको दर्शकों से कुछ भी नहीं मतलब है। इसके उलट वेब सीरीज़ दर्शकों की मन के बात को समझते हुए अपने अभिनव को परोसा है इनके डायरेक्टर ने प्रोड्यूसर ने मिडल क्लास की जिंदगी को समझा और परदे पर पेश किया।
बॉलीवुड की नेपोटिज्म किड्स बनाम वेब सीरीज़ में टैलेंट की प्राथमिकता
बॉलीवुड में आज भी 'नेपोटिज्म' यानी भाई-भतीजावाद हावी है। यहाँ अक्सर स्टार किड्स को सिर्फ उनके सरनेम के आधार पर मौके मिल जाते हैं, बिना किसी महंत के बिना किसी एक्टिंग सीखे हुए। उनमें अभिनय की गहराई हो या न हो पर उनको फिल्मों में उतरना है, तो फिल्में चलेगी थोड़ी दर्शक अपना पैसा स्टारकिडस को देखने के लिए नहीं देते उनको वीकेंड पर मनोरंज चाहिए होता है। यही वजह है कि कई दर्शक आज बॉलीवुड को 'पारिवारिक क्लब' मानने लगे हैं। जहां पर नए फिल्मों के लॉन्च पर आपके सामने उनके बेटे भाई भतीजे इत्यादि लोग देखने को मिलते है।
इसके विपरीत, वेब सीरीज़ की दुनिया में टैलेंट ही सबसे बड़ा हथियार है। यहाँ नाम नहीं, काम बोलता है। आप कौन है कोई फर्क नहीं बस आपको दर्शकों के बीच अपना अभिनय करने आना चाहिए यही कारण है कि Pankaj Tripathi का हर दृश्य एक अभिनय पाठशाला लगता है; उनका 'Kaleen Bhaiya' हो या 'Sultan' — हर किरदार में गहराई और सहजता दिखाई देती है। लगता है कि वो मझे हुए कलाकार है।
इन सबकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि जब अवसर टैलेंट लोगो को मिलेगा तो वो जनता के दिलों में छाप छोड़ेगे वो अभी अपने दम पर , ऐसे अभिनेता शाहरुख सलमान अक्षय के स्टारडम को भी पीछे छोड़ सकते है। वेब सीरीज़ ने लोगो के बीच और हिन्दी सिनेमा में एक नई क्रांति की शुरुआत की है — जहाँ अभिनय का स्तर ही कलाकार की असली पहचान है।
बॉलीवुड में फैंसी प्रमोशन व वेब सीरीज़ में मौखिक प्रचार
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बॉलीवुड अपनी फिल्मों को प्रमोट करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करता है, लेकिन जब कंटेंट ही कमजोर हो तो कितना भी प्रमोशन कर लो, दर्शक थियेटर में नहीं जाएंगे। दूसरी ओर, वेब सीरीज़ बिना किसी ज़ोरदार प्रमोशन के वायरल हो जाती हैं — क्योंकि कंटेंट ही उनकी सबसे बड़ी ताकत होती है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म का उदय और दर्शकों की बदलती सोच
COVID-19 के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म ने ज़बरदस्त ग्रोथ की है। Netflix, Amazon Prime, SonyLIV, TVF, Zee5, Hotstar जैसे बड़े – बड़े प्लेटफॉर्म्स ने वेब सीरीज़ को एक बहुत बड़ा मंच दे दिया है। अब दर्शक रियल, इमोशनल, और दमदार कहानी देखना चाहते हैं। इसलिए ये वेबसरीज लोगो के बीच बढ़ चढ़ कर बोल रही है
बॉलीवुड का रीमेक बनाम वेब सीरीज़ का नए नए प्रयोग होना
निष्कर्ष: क्या बॉलीवुड का भविष्य खत्म हो रहा है?
मेरा मानना है नहीं। बॉलीवुड खत्म नहीं हो रहा बल्कि ये कमजोर हो रहा है अपने अभिनय से अपने एक्टिंग के कौशल से अपने कहानी से और नेपोटिज्म से, अगर यही प्रोड्यूसर व डायरेक्ट अच्छे कलाकारों को मौका दे तो अच्छी फिल्में बन सकती है बिल्कुल साउथ इंडस्ट्री के जैसे। जो योग्य है उसको जरूर मौका दे, लेकिन अगर वो अब भी नहीं ये सब करते है और अभी नहीं आंखे खोले — तो ये हो सकता है कि bollywood सिर्फ एक 'सांस्कृतिक स्मृति' बनकर रह जाए।
बॉलीवुड को चाहिए कि वो:
- नए लेखकों को मौका दे।
- जमीन से जुड़ी कहानियों को अपनाए।
- नेपोटिज्म छोड़कर असली टैलेंट को आगे बढ़ाए।
- और दर्शकों की नब्ज को समझे उनके फीलिंग को समझे कि वो असल मायने में क्या देखना चाहते है।
देखिए दर्शक बदल चुके हैं — उन्हें सिर्फ सितारे नहीं, बल्कि एक सच्ची कहानियाँ चाहिए। जो उन्हें उनसे जोड़े, अगर बॉलीवुड नहीं बदला — तो यकीन मानिए, आने वाला समय वेब सीरीज़ का ही होगा।
आपकी राय? आपको क्या लगता है — क्या बॉलीवुड वापसी कर सकता है? नीचे कमेंट करिए और बताइए कि आपको Panchayat, Aspirants, Scam 1992 जैसी सीरीज़ कैसी लगीं? और कौन-सी ऐसी बॉलीवुड फिल्म है जिसने आपको हाल ही में बहुत ज्यादा आपको निराश किया है?