क्या बांग्लादेश के तख्तापलट में अमेरिका का हाथ था?
ढाका: बांग्लादेश में पूरी सरकार का तख्तापलट हो गया है। वहां की मुख्यमंत्री शेख हसीना जी अपनी कुर्सी छोड़कर अपने पास के पड़ोसी देश भारत में भाग कर शरण ली है। अपने देश को छोड़ने से पहले उन्होंने बहुत सारे देशों में शरण की गुहार लगाई थी,परन्तु केवल भारत ने उन्हें शरण दी अपने देश मे। बांग्लादेश को नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के रूप में एक नया नेता मिल गया है। उन्होंने शेख हसीना के देश छोड़ने के तुरंत बाद ही सत्हाता संभाली थी। हालांकि, पूरी मीडिया जगत में यह सवाल बना हुआ है कि क्या इस बदलाव में यानि इस तख्तापलट में अमेरिका की कोई प्रमुख भूमिका थी? क्या अमेरिकी प्रभाव के कारण ही शेख हसीना को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी? क्या बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल में अमेरिका का हाथ शामिल था?
अमेरिका ने अब इन सब पूरे मामलों पर अपना रुख पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है। उनके सरकारी अधिकारियों के द्वारा कहा गया है कि अमेरिका एक शक्तिशाली देश रहा है इस लिए दुनिया में कुछ भी हो रहा है वो हर एक चीज अमेरिका से ताल्लुकात हो ये जरूरी नहीं है। बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में अमेरिका उस देश के आंतरिक हस्तक्षेप के किसी भी मामलों के आरोप से इनकार किया है। देश में बहुत बड़ी मात्रा में हिंसा के कारण पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर अपने देश को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था।
अमेरिका ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया व खारिज किया :
इससे पहले खुद वहां की प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए शेख हसीना ने भी कई बार अमेरिका पर उन्हें सत्ता से हटाने का आरोप लगाया था। लेकिन उस समय अमेरिका ने इन सभी आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया था। हालाँकि, जब मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली, तो लोगों का अमेरिका के प्रति संदेह और गहरा गया है। क्योंकि मोहम्मद यूनुस को अमेरिका का खास माना जाता है। अमेरिका हमेशा से युनूस जी काफी सालों से समर्थन करता रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं :
बांग्लादेश व जाने माने विशेषज्ञों का मानना है कि यह उनकी (शेख हसीना) सरकार की नाकामी रही है, बांग्लादेश की जनता सरकार की गलत नीतियों से ऊब चुकी थी। उनकी उल जलूल कानून से तंग आ कर वहां की जनता उनसे बहुत ज्यादा परेशान थी, वहां की जनता उनके प्रति अंदर ही अंदर काफी सालों से परेशान थी।
इतना गुस्सा था कि सिर्फ़ 3-4 दिनों में ही लोग भड़क उठे, न पुलिस, न प्रशासन, न सेना का कोई नियंत्रण ही नहीं था, अगर वे शक्ति दिखाते तो हो सकता था गृहयुद्ध छिड़ सकता था, तब जन-धन की और ज़्यादा बड़ी मात्रा में हानि होती।
इसलिए, शेख हसीना को अपना पद को त्यागना पड़ा उनके इस्तीफ़े और अपने देश के निष्कासन से जनाक्रोश में शांति का माहौल कायम हुआ और धीरे-धीरे अब स्थिति अब पहले की अपेक्षा नियंत्रित हो पाई है।
बांग्लादेश में हुए तख्तापलट से भारत सरकार को कितना ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा:
ऐसे में, एक बड़ा सवाल हम सभी भारतीयों के मन में उठ रहा होगा कि क्या बांग्लादेश में आए हुए इस संकट से भारतीय अर्थव्यवस्था में कितनी बड़ी मात्रा में नुकसानदेह होगा या इससे कुछ भारत सरकार को फ़ायदा हो सकता है?
भारत और बांग्लादेश पूरे दक्षिण एशिया में सबसे मज़बूत सहयोगी के रूप में पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। पिछले 10 सालों में इन दोनों देशों के बीच जितने अधिक मात्रा में चीजों को आदान प्रदान हुआ था। वह पूरी दुनिया के मीडिया में है। भारत और बांग्लादेश के 2023 - 2024 में आपसी संबंध नई ऊँचाइयों पर पहुँचे हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगभग 13 अरब डॉलर का पहुंच चुका था। ऐसे में, बांग्लादेश में हुए इस तख्तापलट का असर भारतीय व्यापार पर पड़ना बेशक लाज़मी है।
भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के व्यापार पर कितना फ़र्क़ पड़ेगा इससे?
भारत ने पिछले साल जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अपने पड़ोसी देश बांग्लादेश को पर्यवेक्षक देश के तौर पर आमंत्रित किया था। इसमें उन्होंने G20 में शामिल भी हुए थे। इसके बाद अक्टूबर 2023 में दोनों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर बातचीत भी शुरू हुई थी। विश्व बैंक के अनुसार, इस FTA से दोनों देशों को फ़ायदा होता। इससे बांग्लादेश का भारत को निर्यात में लगभग 297% बढ़ जाता, और वही जबकि भारत का FTA भी 172% बढ़ जाता। हालाँकि, बांग्लादेश में हुई नई परिस्थितियों के बाद इस समझौते की रूपरेखा में क्या होगी, यह तो आने वाला भविष्य में ही पता चल पाएगा। परन्तु अभी के लिए सभी प्रकार की व्यापार को रद्द कर दिया गया है। अगर आज के समय में भारत के आयात-निर्यात की बात करें, तो सबसे बड़ा झटका भारत के कपास व्यापार और उसके निर्यात को लग सकता है। भारत बीते हर साल बांग्लादेश को लगभग 2.4 अरब डॉलर का कपास निर्यात करता आया है। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2012-13 में भारत द्वारा किए गए कुल कपास निर्यात में से केवल 16.8% ही बांग्लादेश को निर्यात किया गया था। वित्तीय वर्ष 2023-24 तक बांग्लादेश की हिस्सेदारी बढ़कर 34.9% तक पहुंच जाएगी। परन्तु अभी के दृष्टि से सभी प्रकार की व्यापार को रद्द कर दिया गया है।
कपास के अलावा, भारत बांग्लादेश को ईंधन और ऊर्जा की भी आपूर्ति करता है। बांग्लादेश को भारत के निर्यात में ईंधन व ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी वाला देश है। इसके अलावा, भारतीय कंपनियों की बांग्लादेश के बाज़ार में बड़ी मात्रा में उपस्थिति दर्ज है। इन बड़ी कंपनियों का बांग्लादेश के बाजारों में काफी बोल बाला है।अडानी समूह की बहुत सारी कंपनी का व्यापार वही पर है। अडानी की एक कम्पनी विल्मर बांग्लादेश के सबसे बड़े कुकिंग ऑयल ब्रांड की मालिक है। इसके अलावा भारतीय ऑटो कंपनियां भी बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में मौजूद है व वहां पर बांग्लादेश को अपने समान व आइटम्स निर्यात करती हैं।