महाकुम्भ वायरल आईआईटी बाबा अभय सिंह जी की कहानी, जानिए उनके साधु संत जीवन के बारे में।
वैसे तो प्रयागराज महाकुंभ में अनेक साधु – संत, किन्नर, नागा साधुओं का हर वर्ष मेला लगा रहता। हर वर्ष माघ मेले लाखों करोड़ों लोग यहां पर पहुंचते है, पूजा पाठ और स्नान करते है। इनमें से कुछ लोगो को बहुत ज्यादा प्रसिद्धि प्राप्त होती है और कुछ लोग को जाने अनजाने में सभी लोग जान लेते है। वैसे एक साधु अभय सिंह जो केवल एक मीडिया की वीडियो की वजह से आज कल वायरल हो चुके है।Biography Of Viral IITian Baba Abhay:
अभय सिंह, जिन्हें लोग आज पूरे भारत में "आईआईटीयन बाबा" के नाम से जानते हैं, इस बार वह लोगों का प्रयागराज के महाकुंभ में सबका ध्यान खींच रहे हैं। एक समय था जब वह iit Mumbai से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग किया करते थे। IIT Baba अभय सिंह ने अपनी शानदार पढ़ाई और करियर से हर किसी को उस समय प्रभावित किया था। हरियाणा के झज्जर जिले के ससरोली गांव के रहने वाले इस साधु का इंजीनियर से वैरागी बनने का सफर काफी दिलचस्प और बहुत ज्यादा हैरान करने वाला है।
अभय सिंह का जन्म 3 मार्च 1990 को झज्जर जिले में हुआ था अपनी बड़ी बहन के साथ उनका बहुत ज्यादा गहरा रिश्ता था।
2017 में उनका विवाह होगया और फिर वो कणाद अपने पति के साथ चली गई। उनकी बहन ने ही उनको कनाडा अपने पास बुलाया था।
अभय सिंह ने अपनी जिंदगी को इस रास्ते पर लाने के लिए खुद ही चुना है। एक समय था जब कभी वह कनाडा में करीब 3 लाख रुपये महीना कमाने वाली एक शानदार नौकरी कर रहे थे। लेकिन कुछ समय के बाद, इस भौतिक दुनिया में रहते हुए उन्हें ऐसा लगा कि पैसे से सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता है। वह कई दिनों से अंदर से खालीपन और डिप्रेशन से जूझ रहे थे। इसी वजह से उन्होंने भगमदौड़ के जीवन को छोड़कर एक साधारण और सुकूनभरी जीवन की तलाश में भारत लौटने का फैसला किया।
अभय जी के पिता जी का नाम करन ग्रेवाल है, जो झज्जर कोर्ट में वकील हैं, वह अपने बेटे की पढ़ाई और उपलब्धियों पर बहुत गर्व करते हैं। वह आज भी बताते हैं कि बचपन से ही अभय पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। उन्होंने दिल्ली में आईआईटी की तैयारी की और अपनी मेहनत से आईआईटी मुंबई में एडमिशन पाया था। वहां से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर मास्टर्स इन डिज़ाइन भी किया। इसके बाद उन्हें दिल्ली और कनाडा की बहुत सी बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने का मौका मिला।
लेकिन बाहर से सफल दिखने वाली ये जिंदगी अंदर से उन्हें बिल्कुल भी खुश नहीं कर रही थी। अभय ने कनाडा की नौकरी छोड़ दी और भारत लौटकर अपनी जिंदगी का असली मकसद खोजने का सफर शुरू कर दिया। वह मनाली, शिमला और हरिद्वार जैसे स्थानों पर गए, जहां उन्होंने आध्यात्मिकता को अपनाया और अपनी पुरानी जिंदगी से दूर चले गए।
आखिरकार, उन्होंने एक साधु बनने का फैसला किया और भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित मठों में से एक, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा में शामिल होने का फैसला ले लिया।
और आज अब, महाकुंभ में उनकी उपस्थिति और उनकी आईआईटी वाली पृष्ठभूमि ने उन्हें चर्चा का केंद्र बना दिया है। लोग उन्हें प्यार से "आईआईटीयन बाबा" बुला रहे हैं।
अभय के पिता करन ग्रेवाल का कहना है कि वह अपने बेटे से छह महीने पहले तक संपर्क में थे। उन्होंने उसे हरिद्वार में बुलाने की कोशिश भी की, लेकिन मिलने नहीं जा सके। अब जब मीडिया में उनकी चर्चा हो रही है, तो वह चाहते हैं कि उनका बेटा अभय घर लौट आए। लेकिन अभय ने अपनी मां से साफ कह दिया है कि अब वह परिवार की जिम्मेदारी नहीं उठा सकते, क्योंकि वह एक सन्यासी बन चुके हैं।
अभय बताते हैं कि उनके बचपन में माता-पिता के झगड़ों ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। वह कहते हैं कि इसी माहौल से बचने के लिए वह देर रात तक पढ़ाई करते थे। शायद यही कारण था कि उन्होंने कभी शादी न करने का फैसला लिया और एक शांत, एकांत जीवन को चुना।
अभय सिंह की इस आश्चर्य यात्रा ने हर किसी को हैरान कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने जिंदगी में जो भी किया और अभी कर रहे है, वह अपने अंदर की शांति पाने के लिए कर रहे है। अब कुंभ के इस माहौल में वह अपने आध्यात्मिक सफर को यापन कर रहे हैं।
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